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Home सीधी दर्पण हाथियों को ट्रेकुलाइज करनें दूसरे दिन भी चला रेसक्यू आपरेशन, चालक जंगली हाथियों के सामने ड्रोन भी बेअसर, बैरंग लौटी रेस्क्यू टीम.....

हाथियों को ट्रेकुलाइज करनें दूसरे दिन भी चला रेसक्यू आपरेशन, चालक जंगली हाथियों के सामने ड्रोन भी बेअसर, बैरंग लौटी रेस्क्यू टीम.....

पथरौला/सीधी (ईन्यूज एमपी):-माह भर पूर्व जिले के पडोसी राज्य छत्तीसगढ़ की सीमा पार कर मध्यप्रदेश मे ताण्डव मचा रहे हाथियों के झुण्ड को ट्रेकुलाइज करने एक्सपर्टों के द्वारा रेसक्यू टीम की सहायता से दूसरे दिन भी रेसक्यू आपरेशन चलाया गया। लेकिन हाथियों को ट्रेकुलाइज नहीं किया जा सका। और रेस्क्यू टीम को दूसरे दिन भी बैरंग लौटना पडा।

बताया गया की एक्सपर्टों की टीम सुबह तकरीवन सात बजे अपने लाव लस्कर के साथ सात प्रशिक्षित हाथियों की सहायता से घोघी के जंगलों मे उतरी थी लेकिन चालाक जंगली हाथियों के झुण्ड ने दिन भर आंख मिचौली करते हुए सारा दिन प्रशिक्षित हाथियों को छकाते रहे।

हलांकि शाम तकरीबन पांच बजे प्रशिक्षित हाथियों मे से सुन्दरगज तथा रामा नामक हाथियों ने झुण्ड के मुखिया नर हाथी को घेर लिया था। और डाक्टरों की टीम ने फायर भी किया लेकिन जंगल काफी घना होने के कारण निशाना मिस हो गया और हाथी पुनः झाडिय़ों के बीच समा गया। और तब तक शाम हो गई। और साम सात बजे रेसक्यू टीम बैरंग जंगल से बाहर निकल आई।

इस बीच झुण्ड के वांकी चार हाथी झाडिय़ों के बीच इस तरह छिपे की उन्हें ड्रोन कैमरा भी नहीं तलाश पाया। विभागीय सूत्रों की माने तो प्रशिक्षित हाथियों को जंगल की झाडिय़ों के बीच चलने मे कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बताया जा रहा है की इन हाथियों के ऊपर तकरीवन सौ सौ किलो के लोहे के बाट जो जंगली हाथियों के पैर मे बांधने के काम आयेगे, लोहे की मोटी जंजीर सहित रेसक्यू टीम के सदस्य भी बैठे रहते हैं साथ ही इनका शरीर रस्से से बंधा रहता है। जिसके कारण इन्हें झाडियों मे घुसने सहित चलने मे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जबकि इनके बिपरीत जंगली हाथियों का झुण्ड फ्री होने के कारण काफी फुर्ती से स्थान परिवर्तन करनें मे सफल हो जाते हैं। प्रत्क्षदर्शियों की बात पर गौर किया जाय तो जंगली हाथी काफी चतुराई व फुर्ती के भागने मे सफल हो जाते हैं। जबकि प्रशिक्षित हाथियों को अपने महावत सहित टीम के अन्य सदस्यों को बचाने की जिम्मेदारी रहती है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अगले दिन जेसीबी मशीन से जंगल मे सडक बनाने की भी तैयारी है जिससे प्रशिक्षित हाथियों को चलने मे सहूलियत हो सके।

एक को उतारा मौत के घाट:-ग्रामीणो द्वारा बताया गया कि 7-8 सितंबर की दरम्यानी रात रामनिरंजन पिता लक्ष्मीदीन वैश्य उम्र 38 वर्ष निवासी देउरछ (अमहई) शाम सात बजे मवेशियों को घर बांधकर हाथियों को देखने अपने एक साथी के साथ जंगल की ओर जाने लगा जिसे परिवार सहित गांव के लोगों ने मना किया लेकिन नहीं माना। बताया गया कि जंगल मे हाथियों ने मृतक और साथी को खदेड लिया। जिसमें मृतक का साथी तो भागने मे सफल हो गया किन्तु मृतक गिर पडा और मौत हो गई। मृतक का एक हाथ पहले से ही कटा हुआ था। हलांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है की मृतक की मौत हाथियों ने की या गिरने के दौरान कहीं ऐसी जगह चोंट लगी की मौत हो गई। ग्रामीणो द्वारा बताया गया कि मृतक के कंधे मे चोट लगी थी जिससे कयास लगाया जा रहा है की गिरने के बाद हाथी ने पैर से दबा दिया है जिससे उक्त व्यक्ति की मौत हो गई।

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