सागर(ईन्यूज एमपी)- संभागीय मुख्यालय सागर में तीनबत्ती पर सड़क से गुजरने वाले लोग हतप्रभ रह गए, एक बुजुर्ग व्यक्ति हाथ ठेले पर एक शव को कंबल में लपेटकर चिलचिलाती धूूप में ले जा रहा था। वह बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज से शव को हाथ-ठेले पर रखकर घर ले जा रहे थे। दरअसल बीती बीएमसी में भर्ती भगत सिंह वार्ड निवासी 38 वर्षीय प्रकाश अहिरवार की इलाज के दौरान बीती रात मौत हो गई। शव वाहन नहीं मिलने पर दोपहर में प्रकाश के बहनोई ने हाथ-ठेले पर शव रखा और घर की तरफ निकल पड़े। करीब 6 किलोमीटर के रास्ते में लोगों ने संवेदनाएं तो दिखाई लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। भगत सिंह वार्ड निवासी प्रकाश अहिरवार को पिछले दिनों गंभीर बीमारी की हालत में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। करीब 5-6 दिन इलाज चलने के दौरान शनिवार तड़के प्रकाश ने दम तोड़ दिया। चिकित्सकों के अनुसार प्रकाश शराब का आदी था और लीवर डैमेज हो चुका था। इलाज के दौरान तड़के प्रकाश ने दम तोड़ दिया। प्रकाश भगतसिंह वार्ड में अपने बहन-बहनोई के साथ रहता था। प्रकाश व उसके बहनोई सुरेश अहिरवार दोनों ही हाथ-ठेला चलाकर मजदूरी करते आए हैं। मौत की खबर के बाद सुरेश बीएमसी पहुंचे और शव की सुपुर्दी लेकर नीचे आ गए। उन्हें काफी प्रयास के बाद भी शव वाहन नहीं मिला तो शव को वहीं छोड़कर बीएमसी से करीब 6 किलोमीटर दूर भगत सिंह वार्ड स्थित अपने घर पहुंचे। यहां से हाथ ठेला लेकर वापस बीएमसी गए और प्रकाश के शव को कंबल में लपेटकर हाथ ठेले पर रखकर अकेले ही घर की तरफ निकल पड़े। इस दौरान हाथ ठेले पर शव ले जाते उन्हें सैकड़ों लोगों ने देखा, लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। प्रकाश ने जीवन भर हाथ ठेला चलाकर मजदूरी कर अपना व परिवार का गुजर बसर किया है। हाथ-ठेला ही उसके जीवन की सबसे बड़ी पूंजी और रोजी-रोटी का आधार रहा है। प्रकृति की नियति देखिए कि जिस हाथ ठेले ने जीवन भर उसका साथ दिया, मौत के बाद भी वही हाथ ठेला उसके काम आया। बहनोई सुरेश जो हाथ ठेला लेकर आए थे, वह प्रकाश का ही था। जिला अस्पताल में रेडक्रॉस सोसायटी का एक शव वाहन 24 घंंटे वाहन चालक के साथ तैनात रहता है। इसके अलावा एक शव वाहन बीना रिफायनरी के माध्यम से जिला अस्पताल को प्रदान किया गया था। दो स्थायी शव वाहन यहां पर उपलब्ध हैं। जब कभी भी कोई व्यक्ति शव ले जाने के लिए शव वाहन की डिमांड करता है तो उसे यह शव वाहन उपलब्ध कराए जाते हैं।