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दो हजार से ज्यादा अध्यापक कर रहे है,फर्जी डिग्री पर नौकरी

भोपाल(ईन्यूज एमपी)- प्रदेश में दो हजार से ज्यादा अध्यापक डीएड (डिप्लोमा इन एजुकेशन) की फर्जी डिग्री से नौकरी कर रहे हैं। यह मामला स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अफसरों के सामने भी आ चुका है, लेकिन संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय अफसरों ने अध्यापकों को वर्ष 2019 तक डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) की डिग्री हासिल करने का मौका दे दिया है। वहीं संविदा शिक्षक भर्ती के दौरान 2011 में भी इसे अनदेखा किया गया था।

प्रदेश में दो लाख 84 हजार अध्यापक हैं। इनमें से करीब 30 हजार की नियुक्ति वर्ष 2011 में हुई है। इस परीक्षा में दो हजार से ज्यादा ऐसे अभ्यर्थी भी शामिल थे, जिनकी डीएड की डिग्री फर्जी थी। दरअसल, इन अभ्यर्थियों ने उन संस्थाओं से डीएड कर लिया था, जिन्हें एनसीटीई (नेशनल कॉउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन) से मान्यता नहीं थी।

संस्थाओं को मान्यता न होने के कारण इन अभ्यर्थियों की डिग्री अनुपयोगी हो गई। फिर भी जिलों में पदस्थ तत्कालीन अधिकारियों (जिला शिक्षा अधिकारी) ने भर्ती से पहले दस्तावेजों का परीक्षण करते हुए गैर मान्यता प्राप्त संस्थाओं की डिग्री को मान्य कर अभ्यर्थियों को नौकरी दे दी। उल्लेखनीय है कि इन अध्यापकों ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और बिहार में संचालित संस्थाओं से डीएड किया था।

भिंड-मुरैना के ज्यादा अध्यापक

डीएड की फर्जी डिग्री से नौकरी करने वाले अध्यापकों में बुंदेलखंड के सबसे ज्यादा युवा शामिल हैं। भिंड, मुरैना, दतिया, छतरपुर, टीकमगढ़, दमोह जिले में ऐसे मामले सामने आए हैं। वहीं रीवा, सतना, सीधी और मालवा क्षेत्र के अध्यापक भी इसमें पीछे नहीं हैं।

कार्रवाई के निर्देश दिए पर की नहीं

संविदा शिक्षक भर्ती के दौरान वर्ष 2011 में डीएड की फर्जी अंकसूची राजधानी में भी मिली थीं। यहां दस्तावेजों के परीक्षण के दौरान 11 अंकसूचियां पकड़ में आई थीं। इस मामले में तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी सीएम उपाध्याय ने संबंधितों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण भी दर्ज कराया था और तत्कालीन आयुक्त लोक शिक्षण ने प्रदेशभर में ऐसे मामलों की जांच के आदेश भी दिए थे। इन मामलों में सीधे एफआईआर कराने के आदेश थे, लेकिन निर्देश पर अमल नहीं हुआ। बल्कि अब सभी को बैकडोर से मान्य किया जा रहा है।

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