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Home मध्य प्रदेश बनने से पहले ही बुक हो जाता है पेटलावद के छोटे से गांव दुलाखेडी का गुड...........

बनने से पहले ही बुक हो जाता है पेटलावद के छोटे से गांव दुलाखेडी का गुड...........

झाबुआ ( ईन्यूज़ एमपी ) - पेटलावद विकासखण्ड का छोटा सा गांव है दुलाखेडी। इस गांव की पहचान है यहां तैयार किए जाने वाला गुड जो अपने स्वाद के लिए न केवल क्षैत्र में प्रसिद्ध है बल्कि मुबंई, पुणे और गुजरात तक जाता है। खास बात यह है कि गुड का उत्पादन 85 साल के बुजुर्ग रामाजी परमार अपनी देखरेख में करवाते है।
​चर्चा के दौरान रामाजी ने बताया कि एक समय था जब झाबुआ जिले में केवल मक्का का उत्पादन होता था। गेहूॅ की खेती करने के बारे में भी कोई सोच नहीं सकता था। ऐसे वक्त में उन्होने गन्ने से गुड का उत्पादन करने का निर्णय लिया। इसके लिए पहले खेत के एक छोटे से हिस्से में गन्ना लगाया। जब फसल तैयार हुई तो फिर गुड का उत्पादन शुरू किया। शुरूआत में ही सफलता मिली तो फिर पीछे मुडकर नहीं देखा। अब वे हर साल 8 से 10 क्विंटल गुड का उत्पादन कर रहे है। इसे बेचने के लिए उन्हें बाजार भी नहीं जाना पडता, उनके ग्राहक पहले से ही बुंकिंग करवा लेते है। यहां तक कि मुबंई, पुणे व सूरत तक उनका गुड जाता है। रामाजी की उम्र अधिक हो जाने से अब उनके बेटे पन्नालाल व बाबूलाल उनके निर्देशन में पूरा कामकाज देखते है।
​रामाजी परमार के अनुसार पानी की कमी के चलते वे दो बीघा में ही गन्ना लगाते है। फरवरी-मार्च में गन्ना लगाने के बाद अगले साल जनवरी-फरवरी में उसकी कटाई की जाती है। इससे सीधे गुड तैयार किया जाता है। लागत 20 से 30 हजार रूपए आती है और इससे दो गुना मुनाफा हो जाता है।
एक बार भटटी चालू की तो फिर आखिरी गन्ने तक बंद नहीं होती
​रामजी परमार ने बताया कि गुड उत्पादन की प्रक्रिया में मेहनत बहुत ज्यादा लगती है। एक बार जब भटटी चालू की तो फिर आखिरी गन्ने के चरखी में से गुजरने तक बंद नहीं की जा सकती। यदि समय ज्यादा लगा और गन्ना कुछ घंटे एसे ही पड़ा रह गया तो उसका स्वाद बिगड जाता है। लिहाजा खेत से गन्ना काटने, उसके छिलकें हटाकर रस बनाने और फिर भटटी पर पकाकर गुड बनाने तक पुरी एक चेन बनानी पडती है। दिन-रात काम चलता है। तब जाकर स्वादिष्ट गुड बन पाता है। इसी वजह से आसपास के प्रदेशो में गुड की मांग बनी हुई है।

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