भोपाल(ईन्यूज एमपी)- नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि प्रदेश में व्याप्त सूखे और पेयजल संकट के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बदतर हो चुकी है लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार लोगों की इस समस्या पर ध्यान देने के बजाय, नजरअंदाज कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए जो साढे़ तीन हजार करोड़ की जो राहत केंद्र सरकार से मांगी थी, बताएं वह मिली या नहीं। श्री सिंह ने कहा कि आज प्रदेश की 5 करोड़ से अधिक की आबादी पेयजल संकट से जूझ रही है, वहीं 10 लाख से अधिक लोग राहत कार्य न खुलने की वजह से काम की तलाश में प्रदेश से बाहर के लिए पलायन कर गए हैं। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव लाएंगे। नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि सूखे की मार झेल रहे ग्रामीण क्षेत्रों में इस समय हाहाकार की स्थिति बनी हुई है। हाल ही में ओला वृष्टि ने किसानों और ग्रामीणों की कमर ही तोड़ दी है। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वे इतनी भयावह स्थिति के बाद भी लोगों को आज तक कोई राहत नहीं दे पाई है। श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री एवं उनका पूरा मंत्रिमंडल पिछले एक माह से कोलारस और मुंगावली में पड़ा रहा उसे क्षेत्र के चुनाव जीतने की चिंता तो रही लेकिन सूखे और ओलावृष्टि से और जल संकट से प्रभावित 5 करोड़ लोगों का कोई ध्यान नहीं रखा। श्री सिंह ने कहा कि वे इस मुद्दे पर विधानसभा में सरकार से जवाब मांगेंगे। नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि अभी पूरी तरह गर्मी की शुरूआत नहीं हुई है और प्र्रदेश में फरवरी माह में ही जलस्तर नीचे चला गया है और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लोगों में पेयजल को लेकर हाहाकार की स्थिति निर्मित हो गई है। प्रदेश में सवा पांच लाख हैंडपंप में से 2.50 लाख हैंडपंप बंद पड़े हैं। जल स्तर नीचे जाने से 18 हजार से अधिक हैंडपंप सूख गए हैं। बिजली संकट के कारण 2674 नलजल योजनाएं बंद पड़ी हुई हैं। लगभग 12235 ऐसे ग्राम पंचायत हैं जो नलजल विहीन हैं। श्री सिंह ने कहा कि विकास का दंभ भरने वाले मुख्यमंत्री की असलियत यह है कि 23 हजार ग्राम पंचायतों में से 12 हजार ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां आज तक नलजल योजना नहीं पहुंची है। जिन ग्राम पंचायतों में नल जल योजना संचालित हैं वहां 10590 ग्राम पंचायतों में बदतर स्थिति हैं, लोगों को उनका लाभ नहीं मिल रहा है। श्री सिंह ने कहां कि 14 साल बाद भी प्रदेश की आधी आबादी भी जल समस्या से ग्रसित है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 50 लाख लोगों को ही सरकारी पेयजल योजना का लाभ मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 44 प्रतिशत शहरों में एक दिन से अधिक छोड़कर पानी की का वितरण हो रहा है। 23 जिलों में पानी के परिवहन की स्थिति निर्मित हो गई है। नलजल योजना और हैंडपंप के संधारण के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रूपए सरकार खर्च कर रही है। फिर भी आधे से अधिक नलजल योजना और हैंडपंप बंद पड़ें हैं। उन्होंने कहा कि मालावांचल और बुंदेलखंड में लगभग सभी जलस्रोत्र सूख गए हैं और भूजल स्तर नीचे चला गया है। नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि सूखा पड़ने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में जीवनयापन की समस्या उत्पन्न हो गई है। प्रदेश में सूखा प्रभावित क्षेत्रों से लगभग 10 लाख से अधिक लोग काम की तलाश में मध्यप्रदेश से पलायन कर अन्य प्रदेशों को चले गए हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा से काम बंद हो गए हैं। कई जगह पर मनरेगा की मजदूरी तक नहीं मिली है। श्री सिंह ने कहा कि सूखा प्रभावित जिलों के कई गांव में ताले लटके हैं और वे वीरान हो गए हैं। नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि उनके कार्यकाल के 13 साल और भाजपा के 14 साल यही बेमिसाल है। श्री सिंह ने मांग की कि सरकार तत्काल सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य खोले और प्रदेश के लोगों को पेयजल संकट से निजात दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए।