ट्रैफिक पुलिस ने जानकारी के अभाव में खुद अपने ही डीजीपी अनिल रतूड़ी का चालान काट दिया था, लेकिन पुलिसिया रौब दिखाने के बजाय डीजीपी ने चालान कटवा कर एक मिसाल पेश की, जिसके बाद में सभी ने उनके इस कदम की सराहना की. मुद्दा ये नहीं कि ट्रैफिक पुलिस ने कुछ बड़ा काम किया था बल्कि अहम यह है कि बड़े अधिकारी अपने पद का फायदा न उठाकर सभी को एक सबक देने की ओर बढ़ रहे हैं, जो एक अच्छा संकेत है. इस कड़ी में बैंकॉक में भारतीय राजदूत भगवंत विश्नोई का नाम भी जुड़ गया है. उन्होंने अपनी निजी कार को नो पार्किंग में खड़ा कर दिया था जिसके बाद वापस आने पर उन्होंने देखा कि एक चालान उनकी कार के शीशे पर रखा हुआ है. ये देखने के बाद वो सीधे ट्रैफिक पुलिस के ऑफिस पहुंचे और वहां जाकर अपने चालान की रकम को जमा किया. क्या था मामला बैंकॉक में भारतीय राजदूत भगवंत बिश्नोई निजी कार्य से अपने वाहन से देहरादून के कोतवाली क्षेत्र में गए थे. वहां उन्होंने गलती से अपनी कार नो पार्किंग में खड़ी कर दी. वाहन को नो पार्किंग में खड़ा पाए जाने पर संबंधित क्षेत्र की यातायात पुलिस द्वारा उनकी कार पर चालान काटकर चस्पा कर दिया गया. यातायात पुलिस द्वारा चस्पा चालान को देखकर भगवंत बिश्नोई, सीधे यातायात आफिस पहुंचे जहां उन्होंने बिना अपना परिचय दिए चालान भुगता. भगवंत विश्नोई 1983 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं. वो पूर्व में कई महत्वपूर्ण देशों में भारतीय राजदूत रह चुके हैं. छोटे अधिकारियों के लिए सबक अक्सर ये देखने को मिलता है कि बड़े पदों पर आसीन पदाधिकारी अपनी शालीनता का परिचय समय-समय पर देते रहते हैं. लेकिन इन्हीं लोगों के साथ उन पुलिस कर्मियों के लिए भी सबक ये है जो अपने अधिकारियों के इन गुणों पर चलने के बजाय अक्सर सड़कों पर रौब दिखाते नज़र आते हैं.