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लोक संस्कृति के संरक्षण को लेकर हुआ विचार मंथन

सीधी (ईन्यूज एमपी )-लोक संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन में समाज की भूमिका विषय पर आज सीधी लोक रंग महोत्सव 2018 के अंतिम दिन आयोजित कला वार्ता में देश के अलग-अलग कोने से आये विद्वान समीक्षकों ने विचार मंथन किया। समीक्षकों का मानना था कि लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य समाज की जागरुकता से ही संभव हो सकता है।
इन्द्रवती नाट्य समिति सीधी एवं जिला प्रशासन सीधी द्वारा आयोजित कला वार्ता में भाग लेते हुए समीक्षक राजेश तिवारी, आशीष पाठक और ऋषिकेश वाजपेई सुलभ ने इन्द्रवती नाट्य समिति सीधी के प्रयासों को काफी सराहनीय बताया। उनका कहना था कि गंभीर विषय पर चर्चा करने के लिए मंच उपलब्ध कराया गया है। इस पर सामूहिक रूप से पहल करने की जरूरत है। पुरखों ने हमें जो सौंपा है उसे संरक्षित करने की जिम्मेदारी समाज की है। प्राचीन काल में 64 कलाएं थीं। बाद में 48, 32, 24 होते हुए वर्तमान में 6 पर सिमट गई हैं। कला के विद्यार्थी इस समय गद्य, पद्य, चित्रकला, रंगकर्म आदि का अध्ययन कर रहे हैं। पुराने परिवेश में जायें तो कला के संरक्षण की जिम्मेदारी राजा और समाज के ऊपर थी। बदलते परिवेश के साथ अब लोकतंत्र में कला के संरक्षण की जिम्मेदारी समाज के रूप में जनता के ऊपर आ चुकी है। ऐसे में समाज को यह प्रयास करना चाहिए कि लोक कलाओं को संरक्षित करने के साथ ही लोक कला से जुड़े लोगों को भी आगे आने के लिए प्रोत्साहित करें। जिनसे भावी पीढ़ी को अपनी लोक संस्कृति विरासत के रूप में मिल सके।
इन्द्रवती नाट्य समिति सीधी के नारेन्द्र बहादुर सिंह द्वारा 4 हजार से ज्यादा गीतों के संग्रहित करने पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए समीक्षकों ने कहा कि अब जरूरत यह है कि इन गीतों की प्रस्तुति भी काफी रोचक अंदाज में होनी चाहिए।

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