ग्वालियर (ईन्यूज एमपी)- पीडब्ल्यूडी के प्रिंसिपल सेकेट्री के नाम से एक ठेकेदार से ठग ने 20 लाख रुपये ठग लिए। ठग ने खुद को प्रिंसिपल सेकेट्री बताया और कहा कि चाचा के बेटे का एक्सीडेंट हो गया है, इसलिए इलाज के लिए रुपये की जरूरत है। पहले 10 लाख रुपये खाते में डलवाए, इसके कुछ ही देर बाद दोबारा 10 लाख रुपये डलवा लिए। शाम तक रुपये लौटाने की बात कहकर ठेकेदार को फंसाया था। जब रात तक रुपये नहीं आए तो ठेकेदार ने उसी नंबर पर काल की, जिससे फोन आया था। वह नंबर स्विच्ड आफ आने लगा और उन्हें ठगी का पता लगा। इस मामले में निलंबित कार्यपालन यंत्री का फोन भी ठेकेदार के पास पहुंचा था। मामले की शिकायत क्राइम ब्रांच में की गई। क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने तुरंत खाता फ्रीज कराया, 10 लाख रुपये तो ठेकेदार के खाते में वापस आ गए, लेकिन 10 लाख रुपये ठग ने निकाल लिए। क्राइम ब्रांच ने एफआइआर दर्ज कर ली है। बहोड़ापुर के विनय नगर इलाके में रहने वाले प्रताप सिंह तोमर कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाते हैं। वह पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार भी हैं। 21 अप्रैल को उनके पास ग्वालियर में रहे पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री प्रदीप अष्टपुत्रे का फोन आया। अष्टपुत्रे अभी निलंबित हैं। अष्टपुत्रे ने उनसे कहा कि पीडब्ल्यूडी के प्रिंसिपल सेकेट्री सुखवीर सिंह आपसे बात करेंगे। अष्टपुत्रे ने ही ठेकेदार को नंबर दिया। जब इस नंबर पर ठेकेदार ने फोन किया तो काल उठाने वाले ने खुद को प्रिंसिपल सेकेट्री बताया। उसने कहा कि मेरे चाचा के बेटे का एक्सीडेंट हो गया है, इलाज के लिए नकद 10 लाख रुपये की जरूरत है। कुछ ही देर में वह रुपये वापस कर देंगे। प्रिंसिपल सेकेट्री के नाम से काल आई थी, इसलिए ठेकेदार ने बताए गए खाते में 10 लाख रुपये आरटीजीएस कर दिए। 20 मिनट बाद दोबारा काल आई, इस बार प्रिंसिपल सेकेट्री के नाम से बात कर रहे ठग ने 10 लाख रुपये और मांगे। ठेकेदार ने दोबारा 10 लाख रुपये आरटीजीएस कर दिए। इस मामले में जब निलंबित कार्यपालन यंत्री प्रदीप अष्टपुत्रे से नईदुनिया ने फोन पर बात की तो वह बोले- मुझे इस बारे में नहीं पता, मेरे कहने पर रुपये नहीं ट्रांसफर किए।