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रमा और केदार संघर्ष में रहे साथ अब बदले हैं हालात...

सीधी (ईन्यूज एमपी)- सीधी जिले के दो चर्चित चेहरे जो कभी सहपाठी व सहचर रहे, एक दूजे के परछाई कहे जाते रहे और लंबे समय तक संघर्ष के साथी भी रहे लेकिन समय और परिस्थितियों ने आज उन्हें अलग-अलग रास्तों पर डाल दिया है और कल तक एक दूजे के हमेशा साथ में दिखने वाले ये चेहरे अब महज औपचारिक परिचित रह गए हैं ऐसा नहीं है कि दोनों में बिगाड़ है किंतु दोनों अब एक साथ भी नहीं हैं।

जी हां बात करें पचासी के दशक की जो " राजदूत " के दो सवार रमा और केदार जो आज दोनो अलग अलग रथों में सवार हैं । वर्तमान समय पर कांग्रेसी विचारधारा वाले श्री रमा मिश्र एवं भाजपा के कद्दावर नेता एवं वर्तमान सीधी विधायक पंडित केदारनाथ शुक्ल यानी यह दोनों एक समय पर हम प्याला और हम निवाला हुआ करते थे दोनों के परिवारों में ऐसी मधुरता और मिठास थी की पता ही नहीं चलता था कौन किसका घर है किसी समय के जिगरी यार अब अलग-अलग नावों पर सवार हैं और दोनों किसी समारोह में ही यदा-कदा एक साथ देखे जाते हैं लेकिन जानकारों की माने तो एक दौर ऐसा भी था जब यह दोनों एक दूजे के पूरक थे जहां एक वही दूसरा भी रहता था केदारनाथ शुक्ल जब अपने संघर्ष के दौर पर थे तब उनका साथ श्री रमा मिश्र दिया करते थे उस समय के लोगों की माने तो जब सन पचासी के दशक में राजदूत की सवारी निकलती थी तो उसमें केदार और रमा साथ ही दिखते थे और जब दौर बदला राजदूत के बाद डीआई Ciw383आई तब भी इन दोनों की जोड़ी इसी सवारी में निकलती थी लोगों को ऐसा लगता ही नहीं था कि यह दोनों अलग-अलग जगहों और घरों से हैं ये कभी अलग होंगे लोगों को इसका अंदाजा ही नहीं था लेकिन समय बड़ा बलवान होता है उसकी करवट हर किसी की सोच को पलट देती है और हुआ भी यही संघर्ष के यह दोनों साथी धीरे-धीरे अलग-अलग राहों पर चले गए यारी की सवारी अलग हो गई और दोनों के दल और कार्यक्षेत्र भी बदल गए इसे वक्त का बदलाव कहें या फिर आवश्यकताओं की बयार एक डाल के पंछी अलग-अलग जंगलों में विचरण करने लगे वर्तमान में जहां अपने संघर्षों के कारण केदारनाथ शुक्ल सीधी विधायक हो गए तो केदार की जिगरी यार श्री रामा मिश्र अजय सिंह राहुल के समर्थकों में से एक हो गये और कांग्रेस में अपनी निष्ठा से जमे हुये हैं दोनों के दल अलग हैं लेकिन दिल अलग है या नहीं यह तो इनका दिल जाने...? लेकिन जन चर्चाओं में चर्चा है कि पुरानी सबारी एक वार फिरसे नये घुड़ सबार की ताजपोशी के लिये एक हो सकते हैं । हलाकि यह सब भविष्य के गर्त पर है चूंकि दोनों में लंबी दूरियां है और यह दूरियां अक्सर दिखाई देती हैं हालांकि सार्वजनिक कार्यक्रमों में इनकी औपचारिक भेंट मुलाकात होती रहती है लेकिन पुराना याराना कहीं नहीं दिखता कोई यह नहीं कह सकता कि ए वही रमा और केदार हैं जो जवानी में एक दूजे के यार थे। खैर यह दोनों का व्यक्तिगत जीवन और व्यक्तिगत रिश्ता था जो इन्हें ही आगे लेकर जाना था लेकिन समय के परिवर्तन में इन्हें कहां लाकर खड़ा कर दिया है यह सर्वविदित है और इनका याराना फिर से एक होगा या नहीं यह तो युवा पीढी पर निर्भर है।

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