सीधी (ईन्यूज़ एमपी)विंध्य प्रदेश की आवाज बुलंद करने वाले बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी एवं पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी की अगुवाई में आज चुरहट में एक विशाल विंध्य महासम्मेलन होगा । अब बिंध्य प्रदेश को अलग प्रदेश बनाने के प्रयास में निर्माण समिति भोपाल के तत्वावधान में नारा दिया गया है कि "हमारा बिंध्य हमें लौटा दो" इस तर्ज पर विशाल विंध्य महासम्मेलन बुधवार 27 जनवरी को विंध्य की गढ़ी चुरहट मोहनी देवी स्टेडियम में आयोजित किया गया है । बता दे कि मैहर विधायक नरायण त्रिपाठी ने इसे लेकर मीडिया में बयान दिया था कि पूर्व पीएम स्व. अटलजी भी छोटे राज्यों के पक्षधर थे। लिहाजा विंध्य प्रदेश बनना चाहिए। उन्होंने कहा था कि एमपी का विभाजन होगा और विंध्य प्रदेश बनेगा। उनका कहना है कि विंध्य की अब तक उपेक्षा होती रही है, इसलिए उसे अलग प्रदेश बनना जरूरी है। पिछले छह दशक से मप्र में पृथक विंध्य राज्य की मांग उठ रही है। दो साल पहले भोपाल में हुए विंध्योत्सव कार्यक्रम में भी इस संबंध में मांग उठाई गई थी। नवंबर 1956 में जब मप्र का गठन हुआ तब से कुछ समय बाद यह मांग आई थी। विधानसभा के अध्यक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे स्व. श्रीनिवास तिवारी भी इस मांग के समर्थक थे। उन्होंने इस मुद्दे पर विधानसभा में राजनीतिक प्रस्ताव भी रखा था। उन्होंने उप्र व मप्र के बघेलखंड व बुंदेलखंड को मिलाकर नया राज्य बनाने की मांग उठाई थी। विंध्य से सांसद-विधायक रहे स्व. सुंदरलाल तिवारी ने भी सरकार को पत्र लिखकर यह मांग बुलंद की थी। मार्च 2000 में मप्र विधानसभा ने पृथक विंध्य प्रदेश बनाने का संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भेज दिया था। केंद्र सरकार ने जुलाई 2000 में छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तरांचल के गठन को हरी झंडी दे दी, लेकिन विंध्य का प्रस्ताव क्युं छूट गया यह समझ से परे है । उल्खेनीय है कि चुरहट पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल का गृह क्षेत्र है और उस धरा में आज एक विशाल जन आंदोलन होने जा रहा है इस आंदोलन की अगुवाई भले ही नरायण और लक्ष्मण कर रहे हैं किंतु पर्दा के पीछे बीजेपी सरकार से आहत कई बड़े नेताओं की भी मौन स्वीकृति है । कारण कि विंध्य क्षेत्र से सर्वाधिक विधायक चुने जाने के वावजूद भी शिवराज सरकार में प्रतिनिधित्व नही हांसिल हुआ है । शिवराज सरकार द्वारा की गई विंध्य के नेताओं की उपेक्षा के विरोध में अब आबाज बुलंद होने लगी है , देखना होगा कि शिवराज सिंह विंध्य के आगे नतमस्तक होंते हैं या फिर विंध्य को वापस करते हैं ।