सीधी (ईन्यूज एमपी)-टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि मध्यप्रदेश में धान की फसल की गहाई क़रीब पूर्ण हो चुकी है, सीधी जिले में भी अधिकतम किसान धान की फ़सल की गहाई कर चुके हैं लेकिन सरकार व प्रशासन में बैठे नीति निर्धारनकर्ताओ की अज्ञानता का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। गौरतलब है कि धान खरीदी नियम के अनुसार इस सत्र में किसान के धान की खरीदी तभी होगी जब किसानों की मोबाइल में मैसेज जाएगा लेकिन जिन किसानों ने धान की गहाई पूर्ण कर ली है वह धान को खुले में रखकर खरीदी का मैसेज आने के इंतजार में हैं और कमबख्त मैसेज है कि आ नही रहा। मौसम के बदले मिज़ाज ने किसानों के माथे पर चिंता की सलवटे ला दी हैं। जिले में कई जगह 2 दिन से तेज बारिश हो रही है और किसानों के पास धान भंडारण की सुविधा नही है। मोदी सरकार द्वारा बनाये गए तीन किसान विरोधी कानून ही किसान के धान उत्पाद की खरीदी में बाधक बन रहे है। किसान विरोधी कानून का दुष्प्रभाव दिखने लगा। श्री तिवारी ने बताया कि कोरोना महामारी के बीच मोदी सरकार ने बड़ी पूँजी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए आनन-फ़ानन में कृषि सुधारों के नाम पर जून में ही तीन अध्यादेश पास कर सितम्बर के महीने में संसद के सत्र में इन अध्यादेशों को दोनों सदनों संसद और राज्य सभा से अनुमोदन कर कानून भी बना दिया। इन तीनों विधेयकों के प्रावधानों में सबसे प्रमुख यह है कि सरकार ने खेती के उत्पाद की ख़रीद के क्षेत्र में, यानी खेती के उत्पाद के व्यापार के क्षेत्र में उदारीकरण का रास्ता साफ़ कर दिया है। पहले कानून यानी ‘फार्म प्रोड्यूस ट्रेड एण्ड कॉमर्स (प्रमोशन एण्ड फैसिलिटेशन) कानून’ का मूल बिन्दु यही है। अब कोई भी निजी ख़रीदार किसानों से सीधे खेती के उत्पाद ख़रीद सकेगा, जो कि पहले ए.पी.एम.सी. (एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केटिंग कमिटी) की मण्डियों में सरकारी तौर पर निर्धारित लाभकारी मूल्य पर ही कर सकता था। यानी, खेती के उत्पादों की क़ीमत पर सरकारी नियंत्रण और विनियमन को ढीला कर दिया गया है और उसे खुले बाज़ार की गति पर छोड़ने का इन्तज़ाम कर दिया गया है।