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मध्य प्रदेश में अब खेती संबंधी अनुबंध की कापी तहसीलदार को देना जरूरी.....

सीहोर(ईन्यूज एमपी)-सामान्य तौर से कृषकों और भू स्वामियों द्वारा अपनी भूमि अन्य व्यक्तियों को धन या फसल का अंश भूमि स्वामी को देकर खेती के लिए भूमि दे दी जाती है, जिसे सामान्य तौर पर बटाइ, सिकमी, अन्य स्थानीय नामों से जाना जाता है। इस संबंध में मध्य प्रदेश भूमि स्वामी व बटाइदारों के हित संरक्षण अधिनियम 2016 के अनुरूप भूमि बटाइ पर दिए जाने की मान्यता प्रदान की गई है।

अधिनियम भूमि स्वामी बटाइदार दोनो के हितों का संरक्षण करता है। अब कोई भी भूमि स्वामी अपनी भूमि बटाइ पर देने या किसी व्यक्ति द्वारा बटाइ पर लेने की वैधानिकता तभी मानी जाएगी जब दोनो पक्षों के द्वारा मध्य प्रदेश भूमि स्वामी बटाइदारों के हित संरक्षण अधिनियम 2016 के नियम चार के तहत अनुबंध निष्पादित किया हो और एक प्रति संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार को उपलब्ध कराई हो। कोई भी बटाइदार, भूमि बटाइ पर लेकर यदि वह फसल क्षति की देय राहत राशि, बीमा राशि और कृषि उपज का उपार्जन के लिए शासन द्वारा तभी स्वीकार माना जाएगा जब भूमि स्वामी और बटाइदार के मध्य उपरोक्त अधिनियम के अंतर्गत अनुबंध निष्पादित हुआ हो और विधिवत अनुबंध के अभाव में उपरोक्त हित लाभ दिया जाना संभव नहीं होगा। अतः हितवद्व व्यक्ति उपरोक्त अधिनियम के तहत कार्रवाई करना सुनिश्चित करेंगे।

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