सीधी (ईन्यूज एमपी)- कहते हैं कि जो कुर्सी जिसकी है उस पर उसी को बैठना चाहिए योग्यता के साथ साथ संबंधित कुर्सी के असली हकदार को ही कुर्सी मिले तो सर्वथा उचित होता है और यदि बात की जाए रिजर्व कुर्सियों की जो खासकर बनी ही उस पद के लिए हैं, जो उस रैंक का हो तब तो फिर ये मामला और भी अहम हो जाता है, लेकिन सीधी जिले में विगत कई वर्षों से कुर्सी का खेल अजीब तरफ से फल फूल रहा है, अर्थात जो हकदार हैं वह इससे वंचित है और जो उनके अधीन है वह कुर्सी पर आसीन हैं, शायद यही कारण है कि जिले से अधिकतर कुर्सी के हकदार अपना डेरा कहीं और ले चले गए या फिर सीधी जिले में आने से आनाकानी कर रहे हैं। जी हां बता दें कि सीधी जिले में इन दिनों सब इंस्पेक्टर राज जारी है, जिले के करीब आधा दर्जन टीआई थानो में सब इंस्पेक्टर आसीन है और अपना राज चला रहे हैं, जबकि नियमत: यहां पर टीआई की पोस्टिंग होनी चाहिए वर्तमान में अगर गौर करें तो भले ही जिले में थ्री स्टार प्रभारियों की कमी है लेकिन पूर्व में भी यही रवैया रहा है और जिले में मौजूद थ्री स्टार धारियों को कहीं ना कहीं वह स्थान नहीं मिला जिसके वे हकदार रहे हैं शायद यही कारण है कि अधिकतर ने कहीं और का रुख अपना लिया और जिनका सीधी के लिए आदेश हुआ उन्होंने भी सीधी आने में कोई खास रूचि नहीं दिखाई हां एक बात काबिले गौर है कि पूर्व में जिले में जमे उप निरीक्षकों द्वारा जिले में जमकर तानाशाही की गई, और इन्हें सीधी इतनी रास आ गई की तबादला होने के बाद इनके द्वारा फिर सीधी का ही रुख किया गया और इसके लिए उनके द्वारा कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई शायद यही कारण है कि जिले में आज निरीक्षकों की संख्या बेहद कम है और जो है भी तो हाशिए पर हैं जबकि उप निरीक्षक अपनी मर्जी के थाने में राज कर रहे हैं यह कहना सर्वथा उचित नहीं है कि उप निरीक्षक काबिल नहीं है या इनके कार्य में कोई त्रुटि है लेकिन जो पद जिसके लिए निर्धारित है वह उस पर आसीन हो तो ही उचित व न्याय संगत बात होगी यह माना कि उप निरीक्षकों में जोश और कार्य के प्रति तीव्रता अधिक है लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि निरीक्षकों द्वारा पुलिस विभाग में लंबा समय व्यतीत किया गया है इसलिए उनका अनुभव भी अनुसरण के योग्य है संक्षेप में कहा जाए तो निरीक्षक व उपनिरीक्षक दोनों ही विभाग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस महकमे में अनुभव व जोश दोनों की आवश्यकता है लेकिन अधिकार ऊपर से नीचे की ओर आए यही सही माना जाएगा खैर प्रशासनिक जरूरत व उपलब्धता के अनुसार टीम का निर्धारण सर्वथा उचित है लेकिन कहीं ना कहीं कोई कारण तो रहा होगा जिसके कारण जिले के आधा दर्जन थाने निरीक्षक विहीन है, और उधार के अधिकारियों के द्वारा इन्हें चलाया जा रहा है.....