सीधी : राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के अन्तर्गत जिले मे विभिन्न फसलों की उत्पादकता बढाने के लिए और कृषकों को सीड रिप्लेस करने की समझाईस देने हेतु आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने कहा कि जिले मंे वर्तमान में कृषको द्वारा परम्परागत ढंग से खेती की जाती है। चाहे वह धान की फसल हो या अरहर की किसान पुराने बीजो का ही इस्तेमाल करते हैं। जरूरत है कि किसानों को बोनी के लिए देशी बीजो की जगह प्रमाणित बीज का उपयोग करने की समझाईस दी जाय और इसके लिए उन्हे प्रोत्साहित किया जाय। अभी किसानों को धान की बोनी के लिए एस.आर.आई. पद्धति से बोनी करने की सलाह दी गई है। जिला प्रशासन द्वारा कोशिश की जा रही है कि किसानों द्वारा परम्परागत ढंग से बोई जाने वाली फसले जैसे अरहर की ब्राण्डिंग कर उसकी मार्केंिटंग कर उन्हे उसका उचित मूल्य दिलाया जाय। बैठक में दलहन विकास निर्देशालय के संचालक डाॅ.ए.के. तिवारी, डाॅ. अश्वनी ठाकुर, डाॅ.संदीप भंण्डारकर, डाॅ. सतीश द्विवेदी, कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारी, कृषि विभाग के उपसंचालक महेन्द्र ंिसह चन्द्रावत, आत्मा परियोजना के संजय श्रीवास्तव, म.प्र. एग्रो के बृजेन्द्र ंिसह सहित कृषि विभाग का अमला मौजूद था। कलेक्टर श्री गढ़पाले ने कहा कि जिले मंे सीड रिप्लेसमेंट प्रापर नही हैै। कृषि विभाग द्वारा बीज विकास कार्यक्रम लिया गया है। किसानो को समझाईस दी गई है कि वें अच्छा एंव प्रमाणित बीज ही उपयोग करें यहा पर देशी एंव आर्गेनिक खेती की ब्राण्डिंग की अपार सम्भावनाएं हैं। टोपोग्राफी के अनुसार जिले की भूमि एवं मिट्टी की गुणवत्ता अच्छी है। यहां पर धान का उत्पादन का औसत 17.4 क्विंटल से 18 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। मक्का का बोनी क्षेत्र 10 हजार हैक्टेयर है। दलहन उत्पादन का काफी बडा क्षेत्र है। यहां पर बीज प्रमोट करने की आवश्यकता है। मसूर की परम्परागत खेती की जगह बीज का परिर्वतन किया जाय तो उत्पादकता बढ सकती है। कृषि विभाग के मैदानी अमले को कैपेसिटी बिल्डिंग का प्रशिक्षण देने हेतु कार्यशाला आयोजित की जाय। दलहन विकास निर्देशालय के संचालक डाॅ. ए.के. तिवारी ने जिले में फसल उत्पादकता बढाने के लिए सुझाव देते हुए कहा कि जिले मंे सीड रिप्लेसमंेट एवं प्रमाणित बीज उपयोग करने को प्रोत्साहित किया जाय। साथ ही खेती में कृषि यंत्रीकरण को बढावा दिया जाय। जिले के बडे किसानों को प्रमाणित बीज लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाय। तथा बोनी मंे देरी से बचने के लिए कम समय में पकने वाली धान जैसे अंजली, दंतेश्वरी, का उपयोग किया जाय। बैठक में कृषि वैज्ञानिकों ने फसलों का उत्पादन बढाने के लिए कई सुझाव दियें।