सीधी(ईन्यूज एमपी)-जिले में अगर गौर किया जाये तो कलेक्ट्रेट चौक से लेकर पूरे जिले भर में छोटे व् कम उम्र के बच्चो को काम करते देखा जा सकता है, कम उम्र के बच्चो से काम करवाना कानूनन अपराध है लेकिन प्रशासन की नाक के नीचे रसूखदारों ने नियमो को कुचलकर रख दिया है, कम उम्र के बच्चे कम मजदूरी पर सरलता से उपलब्ध हो जाते है जिसका फायदा उठाकर होटलों,घरो व् एनी जगहों पर इनसे मजदूरी करवाई जा रही है, सम्बंधित विभाग द्वार न तो एस ओर कोइ ध्यान दे रहा है न ही कार्यवाही कर रहा है| शासन ने सर्व शिक्षा अभियान चलाया,शासन ने बाल श्रम पर रोक लगाई, अब हर बच्चा स्कूल जायेगा इन तमाम तरह के खबरों से अखबारों के पन्ने हर दिन सजे रहते है, लेकिन अगर वास्तविकता के धरातल पर नजर दौडाई जाये तो सरकारी दफ्तरों में , अखबार के दफ्तरों में या थाने में आये दीन कोई न कोई बालक चाय या पानी लेकर पहुचता है लेकिन जिम्मेदार न तो इस ओर कोई ध्यान देते है न ही इसे अपनी जिम्मेदारी मानते है सम्बंधित विभाग भी सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओ का क्रियान्वयन पंखे के नीचे बैठ कर कागजो में करते नजर आ जायेगे लेकिन क्या कभी किसी ने होटलों, दुकानों या किसी के घर में काम कर रहे मासूमो की सुध ली...? शायद नही क्युकि जब इनके माँ बाप को ही इनकी चिंता नही तो भला कोई और क्यों इनके बारे में सोचे, लेकिन जिस विभाग को इसकी जिम्मेदारी सौपी गयी है जब उनके द्वारा अपने कर्तव्यों से विमुखता दिखाई जाती है, तो बड़ा ही आश्चर्य होता है की आखिर इन्हे इस पद पर किस लिए बैठाया गया है, क्या इन्हे मजबूरी में अपने हाथो से किताब छोडकर होटलों दुकानों में अपना बचपन खपा रहे मासूमो के चेहरे नही दिखते या इनके चश्मे धुंधले पड गये है जिन्हें नोटों की चमक के सिवा कुछ दिखाई ही नही देता|