सीधी ( ईन्यूज़ एमपी ) - आज प्रातः 11 बजे से Сबाणभट्ट कला संस्कृति संरक्षण संस्थान (न्यास)Т के सभी सदस्यों की उपस्थिति में बैठक का आयोजन किया गया | बैठक में पं. केदारनाथ शुक्ल (अध्यक्ष), दिलीप कुमार (संरक्षक सदस्य), मनोज श्रीवास्तव (संरक्षक सदस्य), शैलेन्द्र सिंह (सचिव) नीरज कुंदेर (कार्यकारी अध्यक्ष) रोशनी प्रसाद मिश्र (कोषाध्यक्ष ), नरेंद्र बहादुर सिंह (कार्यकारी सचिव), करुणा सिंह चौहान (उपाध्यक्ष), प्रजीत कुमार साकेत (सहसचिव) उपस्थित रहे | संस्थान की आयोजित प्रथम बैठक में सभी सम्मानित सदस्यगणों का स्वागत अभिनन्दन अध्यक्ष महोदय द्वारा किया गया | संस्थान बाणभट्ट कला संस्कृति संरक्षण संस्थान (न्यास) पंजीयन क्र. 01/2017-18 दिनांक 16/02/2018 है, जिसका प्रकाशन राजपत्र में दिनांक 05/01/2018 को हो चुका है | आदि उद्देश्यो एवं संस्थान की विभिन्न गतिविधियों एवं नियमावली के संवंध में सामान्य जानकारी दिये जाने के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि- बाणभट्ट कला संस्कृति संरक्षण संस्थान (न्यास) का बैंक खाता खुलवाया जाय जो कि संस्थान एवं अधिकारियों के प्रावधानों के सर्वसम्मति के अनुरूप हो | न्यास कि बैठक प्रति तीन माह में एक बार आयोजित कि जायेगी | आवश्यकता पड़ने पर अल्पसूचना पर भी आपातकालीन बैठक आमंत्रित की जा सकेगी | न्यास के कार्यों के सञ्चालन, संपादन हेतु सत्येन्द्र वर्मा सहायक वर्ग-3 उपखण्ड कार्यालय सीधी एवं न्यास के कार्यकारी सचिव नरेंद्र बहादुर सिंह द्वारा मिलकर किया जावेगा | बॉयलॉज के लक्ष्यानुसार अग्रिम 03 माह में महिला एवं बाल विकास विभाग से समन्वय कर सीधी जिले 10 आँगनबाड़ी केंद्र गोद लिए जायेंगे | इसके अंतर्गत शासकीय योजनाओं का क्रियान्वन एवं महिला एवं बाल विकास पर केन्द्रित होकर कार्य किया जाएगा | क्षेत्रीय स्तर पर सांस्कृतिक जागरण की गतिविधियों भी इन केन्द्रों पर की जाती रहेंगी | सर्वसुविधा युक्त कलात्मक प्रेक्षागृह के निर्माण हेतु भी कार्य को गति प्रादान की जाए | सिद्धिभूमि सीधी पौराणिक काल से अपनी विशेष भू संरचना, प्राकृतिक सौन्दर्य व लोक कलाओं के लिए प्रसिद्ध रही है | अप्रतिम प्राकृतिक सौन्दर्य और ऋषि मुनि जनों की तपस्थली होने के कारण पूर्व में यह सिद्धिभूमि नाम से लोक विख्यात रही, कालांतर में यह सिद्धि से सीधी के बोलचाल में आयी | बाणभट्ट की तपस्थली सीधी में लोक कलाओं की भरमार है | दुनिया के पहले गद्य साहित्य उपन्यास कादम्बरी की रचना बाणभट्ट ने इसी पावन भूमि पर की, काले मृग और सफ़ेद शेर की उपयुक्त जलवायु वाली इस भूमि ने बीरबल जैसे मेधावी युगपुरुष को भी जन्म दिया | सीधी की लोक कलाओं, सीधी का रंगमंच, वाद्योदय के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत वर्ष के लोक कलारूपों, परम्परा एवं देश के संस्कृति संरक्षण के उद्देश्य से बाणभट्ट कला, संस्कृति संरक्षण संस्थान (न्यास) की स्थापना की गई है और न्यास अपने लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए लगातार सक्रिय है |