सीधी ( ईन्यूज़ एमपी ) - ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं ने यह स्थापित कर दिया है कि यदि उन्हें पर्याप्त अवसर मिले तो वह पुरूषों से पीछे नहीं हैं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने महिलाओं को यह उचित अवसर प्रदान कर संबल दिया है। गरीब और कमजोर वर्गों की महिलाएं मजदूरी छोड. स्वसहायता समूहों के माध्यम से न केवल स्वयं का रोजगार स्थापित कर बल्कि सफल उद्यमी भी बन रही है। पन्नू साकेत पति कैलाश साकेत सीधी जिले के रामपुर नैकिन विकासखण्ड अन्तर्गत ग्राम बडोखर के आदिवासी हरिजन भूमिहीन परिवार से तालूक रखती है जिनका मुख्य कार्य मजदूरी एवं कृषि मजदूरी था। मजदूरी से प्राप्त होने वाली आय परिवार के भरण-पोषण के लिये पर्याप्त नही होती थी, जिसके कारण पन्नू बाई को अपने परिवार की आवश्यकताएं पूरी करने के लिये गांव के साहूकार एवं व्योहरों से अधिक ब्याज में ऋण लेना पड़ता था जिसके कारण सारा परिवार अत्यधिक आर्थिक एवं मानसिक कठिनाइयो के जूझ रहा था। वर्ष 2001 में डी.पी.आई.पी. प्रथम चरण का कार्य सीधी जिले में प्रारम्भ किया गया। पन्नूबाई ने ग्राम बड़ोखर मे समहित समूह में जूड़कर मुर्गी पालन का प्रशिक्षण प्राप्त कर अपना मुर्गी शेड निर्माण करवाकर मुर्गी पालन की गतिविधि शुरू की साथ ही उसका पति भी बड़ोखर फीड प्लान्ट में काम करने लगा जिससे उनकी परिवार की आर्थिक स्थिति सुधर गई। पन्नू बाई यही रूकने वाली नही थी और उन्होने डी.पी.आई.पी. द्वितीय चरण के प्रारम्भ होने पर ग्राम बड़ोखर के संतोषी स्व सहायता समूह में जुड़कर अपनी बचत एवं लेन-देन करने लगी। पन्नू बाई ने अपने दोनो बेटों सुरेश एवं उमेश को रोजगार मेले भेजा जिसमें उनका चयन धागा मिल की कंपनी में हुआ जो कि आज तमिलनाडू स्थित धागा कंपनी में कार्यरत है। पन्नूबाई ने मुर्गीपालन की गतिविधि को ओर आगे बढ़ाते हुये एक और शेड निर्माण की स्वीकृति के लिये ग्राम उत्थान समिति के माध्यम से अपना आवेदन जनपद पंचायत में प्रस्तुत किया जिसकी स्वीकृति जनपद पंचायत द्वारा प्रदाय कर दी गई है और जल्द ही पन्नूबाई दूसरे शेड का निर्माण कर अपनी आजीविका को गति प्रदाय कर लेगी। आज पन्नूबाई की समूह में बचत 19540 रू. हो गई है एवं विभिन्न स्त्रोतों से पन्नूबाई के परिवार की मासिक आय 32000 रू. एवं वार्षिक आय 384000 रू. हो गई है। पन्नूवाई अपने गांव की महिलाओ को साफ-सफाई एवं शौचालय निर्माण करवाने के लिए प्रेरित कर गांव की स्वच्छता में विशेष योगदान दे रही है। पन्नूबाई ने अपने आपको आज सारे गांव एवं सीधी जिले मेें एक आदर्श रूप मे स्थापित किया है एवं उनके गांव की सारी महिलाऐं उनसे प्रेरणा लेकर स्व सहायता समूह से जूड़कर अपने परिवार की आजीविका सर्वद्धन में योगदान दे रही है।