सीधी (ईन्यूज एमपी )-विधिक सहायता अधिकारी अमित शर्मा ने जानकारी हेते हुए बताया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार दिनांक 10 फरवरी वर्ष 2018 को आयोजित नेशनल लोक अदालत मे विद्युत प्रकरणों के संबंध में म.प्र. शासन उर्जा विभाग द्वारा छूट प्रदान की गई है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135,138, एवं 126 के अन्र्तगत न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए दिनांक 10 फवरी 2018 को आयोजित होने वाले नेशनल लोक अदालत में लंबित प्रकरणों में निम्नदाब श्रेणी के समस्त घरेलू, समस्त कृषि पाॅच किलो वाट भार तक के गैर घरेलू एवं 10 अश्व शक्ति भार तक के औद्योगिक उपभोक्ताओं को प्रीलिटिगेशन के स्तर पर कम्पनी द्वारा आंकलित सिविल दायित्व की राशि पर 40 प्रतिशत एवं आंकलित राशि के भुगतान मे चूक किये जाने पर निर्धारण आदेश जारी होने की तिथि से 30 दिवस की अवधि समाप्त होने के पश्चात प्रत्येक छःमाही चक्रवृद्धि दर अनुसार 16 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से लगने वाले व्याज की राशि पर 100 प्रतिशत की छूट प्रदान की जावेगी। लिटिगेशन के स्तर पर कम्पनी द्वारा आंकलित सिविल दायित्व की राशि पर 25 प्रतिशत एवं आंकलित राशि के भुगतान में चूक किये जाने पर निर्धारण आदेश जारी होने की तिथि से 30 दिवस की अवधि समाप्त होने के पश्चात प्रत्येक छः माही चक्रवृद्धि दर अनुसार 16 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से लगने वाले ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत की छूट प्रदान की जावेगी। आवेदक को निर्धारित छूट के उपरांत शेष आंकलित सिविल दायित्व एवं ब्याज की राशि का एकमुश्त भुगतान करना होगा। उपभोक्ता/उपयोगकर्ता का विचाराधीन प्रकरण वाले परिसर एवं अन्य परिसरों पर उसके नाम पर किसी अन्य संयोजन या संयोजनो के विरूद्ध विद्युत देयकों की बकाया राशि का पूर्ण भुगतान भी करना होगा। आवेदक के नाम पर कोई विधिक संयोजन न होने की स्थिति में छूट का लाभ प्राप्त करने हेतु आवेदक द्वारा विधिक संयोजन प्राप्त करना एवं पूर्व में विच्छेद्रित संयोजनों के विरूद्ध यदि कोई बकाया राशि है तो उसका पूर्ण भुगतान करना होगा। सामान्य विद्युत बिलों के विरूद्ध बकाया राशि पर कोई छूट नही दी जायेगी। उपरोक्त छूट दिनंाक 10 फरवरी 2018 को आयोजित नेशनल लोक अदालत में समझौता करने के लिए ही लागू होगी। उपराध शमन फीस, विद्युत अधिनियम के अनुसार वसूल की जावेगी। श्री शर्मा ने आम जन से अपील है कि नेशनल लोक अदालत के माध्यम से अपने प्रकरणों का निराकरण कराये एवं न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग प्रदान करें।