सीधी / सेमरिया ( ईन्यूज़ एमपी ) - हनुमान मंदिर सेमरिया में आज भागवत कथा के अंतिम दिन कथा व्यास योगेन्द्रदास जी महराज ने कहा कि भगवान के सोलह हजार एक सौ आठ विवाह हुए हैं भगवान को योगेश्वर कहा जाता है भगवान के मन व इन्द्रियों को कामदेव प्रभावित नही कर सकता भगवान ने जरासंध का वध किया व सुदामा जी से मित्रता की सुदामा चरित्र के माध्यम से समाज को शिक्षा मिलती है कि हर मनुष्य को ब्राम्हण का सम्मान करना चाहिए और मित्र के साथ अपनत्व का व्यवहार करना चाहिए और मित्र के सुख में सुखी व दुख में दुखी हो यही मित्रता का सच्चा स्वरुप है भगवान अपने लीला का समर्पण करते हुए गौ लोक धाम को प्रस्थान किए उद्वव जी के कहने पर भगवान ने उनको चरण पादुका प्रदान की और उनको लेकर बद्रिका आश्रम गए परीक्षित जी के जीवन का आज सातवां दिन था जिसमें सुखदेव जी महराज ने परीक्षित जी को आत्मतत्व का विरोध कराया और उनका उद्वार हुआ भागवत कथा श्रवण का मनुष्य ही नही सभी जीवों का उद्वार होता है