सीधी ( सचीन्द्र मिश्र ) - आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र सीधी इन दिनों शिक्षा की दृष्टि से अनाथ है पिछले 4 माह से खाली पड़ी जिला शिक्षा अधिकारी की कुर्सी में विराजमान उधारी के एसडीएम साहबान आखिर कब तक झेलेंगे इसका बेहतर जवाब जिले के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि बता सकते हैं । शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताएं आम आदमी के लिए अनिवार्य होती है और ऐसे में सीधी जैसे पिछड़े इलाके की शिक्षा व्यवस्था उधारी में चले इससे से बड़ा दुखद क्या हो सकता है फिर भी यह सीधी है सब कुछ ठीक चल रहा है भगवान भरोसे संचालित सीधी जिले की संचालित शिक्षा व्यवस्था से जिलेवासी कितने संतुष्ट हैं यह तो वर्तमान की शिक्षा व्यवस्था ही जवाब दे सकती है। सीधी जिले के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि चाहे पक्ष हो या विपक्ष इन्हें इस बात की चिंता नहीं कि हमारे जिले की शिक्षा वयावस्था उधारी में संचालित है , उनका क्या जायेगा आज वे हैं कल चले जायेगें जब तक हैं पौबारा है नुकसान तो सीधी वासियों का है जो झेल रहे हैं और आगे भी झेलेंगे । पिछड़े इलाके में सुमार सीधी जिले की शिक्षा व्यावस्था के नाम पर सरकार भले ही करोडो़ पानी की तरह बहा रही हो लेकिन सचमुच में सदुपयोग केबल 40 फीसदी है । दुरुपयोग की बात करें तो 60 फीसदी जिले की शिक्षा व्यवस्था बिकाऊ है जैसा की इन दिनों माहौल चल रहा है और चलते रहना ही जिसका नाम " सीधी " है , जिले के शासकीय स्कूलों की पठन पाठन का हाल वेहाल है सुपरवीजन के अभाव में शैक्षिणिक गुणवत्ता न्यून की ओर इंगित कर रहा है । जिला शिक्षा अधिकारी के प्रभार पर कार्य कर रहे अनुविभागीय अधिकारी राजस्व शैलेन्द्र सिंह जिनके पास कार्यपालिक शक्तियां (SDM) भी हैं , वह भी जिला मुख्यालय गोपदवनास में भला उन्हे कंहा फुर्सत अपने राजस्व के पचड़े से ....? फिर भी उधारी का बोझ ढोये पड़े हैं । जरूरत है सीधी में जिला शिक्षा अधिकारी के पदस्थापना की या फिर फुर्सत में बैठे वे डिप्टी कलेक्टर को प्रभारी बनाने की जिनके पास कोई काम नही । देखना होगा कि सीधी के जनप्रतिनिधि या जिला प्रशासन इस मसले में क्या कदम उठाते हैं