सीधी (ई न्यूज़ एमपी )- सीधी/पूजापार्क मे चल रही संगीतमय भागवत कथा के सुधी प्रवक्ता पं बालाब्यंकटेश शास्त्री जी महराज ने भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ऋषभ के सौ पुत्र थे ,बङे बेटे का नाम भरत था ।ऋषभ जी ने अपने पुत्रों को सुख दुख के कारणों को सुस्पष्ट करते हुए उपदेशित किये कि मन का देवता चन्द्रमा है जिसमे गुण कम और अवगुण अधिक होते हैं ।यही चन्द्रमा अमावस्या तिथि को विलुप्त होकर वृक्ष पर निवास करता है ।यह ज्ञान हमे सदगुरुऔर शास्त्र बताते हैं ।सुख का उद्गम तब होता है जब हम सदगुरु के बताये हुए मार्ग पर चलते हैं ।परीक्षित जी ने सदगुरु के मार्ग का अनुसरण किया तो भव सागर से पार हो गये । आगे कथा व्यास जी ने बताया कि भगवान भवन मे रहते हैं हमारे राम जी, हमारी राधारानी और हमारे श्रीकृष्ण जी भवन मे मिलते हैं- ऐसी घोषणा हमारे सदग्रंथ की है किसी व्यक्ति की नही ।ऋषभ जी ने अपने बच्चों को ऐसा संस्कार दिया कि यदि भगवान का दर्शन करना चाहते हो तो निरपेक्ष मानव की आत्मा मे ही संभव है क्योंकि राग और द्वेष हमे भगवान के मार्ग से दूर कर देते हैं।कहने का अभिप्राय यह कि साधकों का जीवन परोपकार का होता है ।और उपेक्षा का भाव वहाॅ होता है जहाॅ अपेक्षा होती है।कथा के प्रसंग मे महराज वालाव्यंकटेश जी ने अपने भक्तों को यह भी बताया कि अपनी इन्द्रियों का मुख भगवान की ओर कर देना चाहिए, जिससे दया का भाव अहंकार रहित हो और ऋषभ की भांति उपलब्धि हासिल हो सके ।ऋषभ के समर्पण से हम सबको यही सीख मिलती है कि- मेरा जीवन है तेरे हवाले सवरिया वाले।कथा के क्रम मे अनेक दुर्लभ कथ्य और तथ्य के द्वारा महराज जी ने अनेक प्रसंगो पर ऐसा प्रकाश डाले कि भक्तों की भीङ भाव विभोर हो उठी ।आज की संगीतमय भागवत कथा कहते हुए कथा व्यास जी ने श्री कृष्ण के प्रागटोत्सव की इतनी मनमोहक झांकी अपनी स्तुति के साथ प्रस्तुति की सभी भक्तगण एक स्वर से जयजयकार करने लगे कि- नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैयालाल की ।इस अवसर पर मंच से कान्हा पर केन्द्रित अनेकानेक बधाई गीत ऐसे प्रस्तुत हुए कि सीधी के भक्तगण भावुक होकर नाचने गाने और झूमते हुए नजर आये।कथा के पूर्व श्री कृष्ण रसामृत समिति के पदाधिकारी सेवकों द्वारा व्यास पीठ और भागवत कथा के व्यास ,देश के सुपरिचित और सुप्रतिष्ठित महराज वृन्दावनोपासक बालाब्यंकटेश जी का पुष्पहार से पूजा और अर्चन , कुमुदिनी सिंह ,गणेश सिंह जी, डाॅ.श्रीनिवास शुक्ल सरस, डाॅ.लहरी सिंह, अंजनी सिंह सौरभ, धर्मेन्द्र सोनी, संतोष सिंह चौहान, सुरेन्द्र सिंह बोरा, जीवेश त्रिपाठी, आदि ।