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बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मामले में अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

सीधी (ईन्यूज एमपी ) मध्य प्रदेश में घटते लिंगानुपात पर काबू पाने सरकार की ССबेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओТТ योजना के क्रियान्वयन हेतु महिला सशक्तिकरण अधिकारी को कलेक्टर से पत्र जारी करवाना मंहगा पड़ गया। पद में समकक्ष एवं प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी अवधेश सिंह के निर्देशों को अधीनस्थ अधिकारी शेषनरायण मिश्र ने सार्वजनिक कर नीचा दिखाने का प्रयास किया है
जिससे साफ जाहिर होता है कि अधिकारिंयों की भूमिका संदिग्ध है ।
कलेक्टर सीधी द्वारा हस्ताक्षरित पत्र पर बाल विकास परियोजना सीधी क्रमांक-1 के परियोजना अधिकारी शेष नारायण मिश्रा ने लिखा СС सर, इस पत्र में कोई निर्देश नहीं दिया गया, न कोई जानकारी दी गई। क्या कार्य सम्पादन करना है ....और फिर इस तथ्य को शोषल मीडिया के मार्फत अपने बास को बदनाम करना क्या न्याय संगत है ....?

उल्लेखनीय है कि 4 दिन पहले ही गत् 27 नवम्बर को कलेक्टर साहब की अध्यक्षता में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना की जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक हुई है। जिसमें महिला बाल विकास, महिला सशक्तिकरण सहित जिले के समस्त अधिकारी उपस्थित थे। बावजूद इसके भी परियोजना अधिकारी जानना चाहते हैं कि करना क्या है ? उस पर प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा आई.सी.डी.एस. टीम व्हाट्स अप ग्रुप में की गई टिप्पणी से यह स्पष्ट हो गया है कि ССबेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओТ योजना के क्रियान्वयन को पूरी तरह फ्लाॅप करने की योजना बनाई जा चुकी है। योजना का क्रियान्वयन आंगनबाड़ी केन्द्र स्तर से शुरू होना है, जब शेष जी ССबेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओंТТ योजना के खिलाफ दृष्टिकोण रखते है, तब अधीनस्थ कार्यकर्ता, पर्यवेक्षक व परियोजना अधिकारी कितनी तबज्जो देंगें ? भगवान ही मालिक है।
विदित हों कि महिला बाल विकास विभाग में जिला कार्यक्रम अधिकारी का पद उपसंचालक के समकक्ष है। और जिला शसक्तीकरण अधिकारी प्रवेश मिश्रा भी एक वरिष्ठ अधिकारी हैं और इन दोनों के अधीनस्थ शेष जी बीच में जहर घोलने का काम कर रहे हैं ....? समझ में नही आता कि ऐ आला अधिकारी कलेक्टर की मानसिकता पर आखिर क्यौं पानी फेरना चाहते हैं ...?

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