🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞 ⛅ *आज का दिनांक 02/08/ 2017* ⛅ *दिन -बुधवार* ⛅ *विक्रम संवत - 2074* ⛅ *शक संवत -1939* ⛅ *अयन - दक्षिणायण* ⛅ *ऋतु - वर्षा* ⛅ *मास - श्रावण* ⛅ *पक्ष - शुक्ल* ⛅ *तिथि - दशमी* ⛅ *नक्षत्र - अनुराधा* ⛅ *योग - ब्रह्म* ⛅ *राहुकाल - 11,58से0132 तक* ⛅ *सूर्योदय - 05,58* ⛅ *सूर्यास्त - 06,57* ⛅ *दिशाशूल - उत्तर दिशा में* आवश्यक होने पर तिल का सेवन कर यात्रा करें। ग्रह स्थिति:---- सूर्य:---कर्क चन्र्द:--वृश्चिक भौम:--कर्क बुध:--सिंह गुरु:--कन्या शुक्र:--मिथुन शनि:--वृश्चिक राहु:--सिंह केतु:--कुम्भ समयशूल:--- उषाकाल में पूर्व को,गोधूलि में पश्चिम दिशा कोअर्द्ध रात्रि में उत्तर दिशा को,और मध्यान्ह काल में दक्षिण दिशा को नहीं जाना चाहिए। शनिदेव का महत्व:-- ----------------------------------- *ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण')* 💥 *शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण')* 💥 *हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)* 💥 *नौकरी - व्यवसाय में सफलता, आर्थिक समृद्धि एवं कर्ज मुक्ति हेतु कारगर प्रयोग शनिवार के दिन पीपल में दूध, गुड, पानी मिलाकर चढायें एवं प्रार्थना करें - 'हे प्रभु ! आपने गीता में कहा है कि वृक्षों में पीपल मैं हूँ । हे भगवान ! मेरे जीवन में यह परेशानी है । आप कृपा करके मेरी यह परेशानी (परेशानी, दुःख का नाम लेकर ) दूर करने की कृपा करें । पीपल का स्पर्श करें व प्रदक्षिणा करें ।* 🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🙏🏻 *सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।* 🌷 *इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है।* पारद शिव का महत्व 🌷 *शिवपुराण* 🌷 🙏🏻 *पारद को शंभू-बीज माना जाता है। इसकी उत्पत्ति के बारे में कहा गया है कि यह शिव के वीर्य से उत्पन्न हुआ है। यही कारण है कि शास्त्रों में इसे साक्षात शिव ही माना गया है। शिवपुराण में पारद शिवलिंग के महत्व और उसकी पूजा के फल के बारे में विस्तार में बताया गया है। आज हम आपको इसी की पूजा के तरीके और महत्व आदि के बारे में बताएंगे।* 🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार* 🌷 *श्लोक* *लिंगकोटी सहस्रस्य यत्फलं सम्यगर्चनात यत्फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद्वेत।* ➡ *अर्थ: करोड़ों शिवलिंग के पूजन से जिस फल की प्राप्ति होती है, उससे भी करोड़ गुना फल की प्राप्ति पारद शिवलिंग के पूजन और दर्शन से होती है ।पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है ।* 🙏🏻 *घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में पारद शिवलिंग की स्थापना कर, रोज पूजा-अर्चना करनी चाहिए ।ऐसा करने से जीवन की हर सुख-सुविधा मिलती है ।ध्यान रखें शिवलिंग की जलाधारी उत्तर दिशा की ओर हो।* 🙏🏻 *जो व्यक्ति रोज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पारद शिवलिंग की पूजा करता है, उसे तीनों लोकों पर स्थित शिवलिंगों के पूजन का फल प्राप्त होता है ।* 🙏🏻 *रोज स्नान आदि कर शुद्ध हो जाने के बाद पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से सैकड़ों अश्वमेघ यज्ञ, करोड़ों गोदान और हजारों स्वर्ण मुद्राओं के दान करने का फल मिलता है ।* आचार्य प्रभाकर प्रसाद शास्त्री देवी धाम (ओवरहा)बम्हनी जिला-सीधी म०प्र०