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Home कालचक्र आचार्य श्री बाला व्यंकटेश शास्त्रीजी ने श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र का किया व्याख्यान...

आचार्य श्री बाला व्यंकटेश शास्त्रीजी ने श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र का किया व्याख्यान...

धर्म(ईन्यूज़ एमपी)- वृंदावन धाम में आचार्य श्री बाला व्यंकटेश जी के द्वारा श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस में सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए बताया की दशम स्कन्ध के अंतर्गत आता है। यह कथा भगवान श्रीकृष्ण और उनके बाल सखा सुदामा के बीच मित्रता और भगवान की भक्ति की महानता को दर्शाती है।

सुदामा चरित्र हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति और मित्रता के सामने संसार के सभी भौतिक सुख-समृद्धियाँ गौण हैं। भगवान अपने भक्तों के प्रति असीम करुणा और प्रेम रखते हैं और उनके कष्टों का निवारण करते हैं। इस कथा से यह भी पता चलता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों के प्रति कितने समर्पित और दयालु हैं। उनका प्रेम उनके भक्तों के लिए बिना शर्त होता है और वह सदैव उनकी सहायता के लिए तत्पर रहते हैं। सुदामा चरित्र इस बात का भी प्रमाण है कि यदि हम सच्चे हृदय से भगवान की भक्ति करें और उनके ऊपर पूर्ण विश्वास रखें, ती वे हमारे जीवन के सभी संकटों को दूर कर सकते हैं। आचार्य श्री ने सुदामा चरित्र का सारांश बताते हुए सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता, सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता, सुदामा का द्वारका जाना, श्रीकृष्ण द्वारा सुदामा जी का स्वागत, चिउड़े का आदान-प्रदान, सुदामा का लौटना, सुदामा की गरीबी का अंत अत्यंत मार्मिक व्याख्या प्रस्तुत की। आचार्य श्री ने श्रीमद्भागवत महापुराण की अनुक्रमणिका की व्याख्या करते हुए बताया कि श्रीमद्भागवत महापुराण 18,000 श्लोकों बाला एक प्रमुख पुराण है, जो 12 स्कन्धों (अध्यायों) में विभाजित है। हर स्कन्ध के भीतर कई अध्याय हैं, जो अलग-अलग कथाओं और प्रसंगों का वर्णन करते हैं।

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