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मध्य प्रदेश में जनता कर्फ्यू जारी, 8 जिले लॉक डाउन.....

भोपाल(ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश के सभी जिलों में रविवार सुबह सात बजे कोरोना वायरस को रोकने के लिए जनता कर्फ्यू शुरू हो गया। सभी लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई अपील का पालन कर रहे हैं। रात 9 बजे तक सभी अपने घरों के अंदर ही रहेंगे, इस दौरान शाम 5 बजे सभी घरों की दरवाजे, गैलरी या आंगन में खड़े होकर कोरोना वायरस को हराने में जुटे जुटे डॉक्टरों, चिकित्साकर्मियों, पुलिस, मीडिया, एयरलाइन और परिवहन सेवाओं से जुड़े योद्धाओं के सम्मान में थाली और ताली बजाएंगे। उधर मध्य प्रदेश के आठ जिलों में कोरोना वायरस संक्रमण से बचान के लिए शनिवार को ही लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है। इन सात जिलों में जबलपुर, नरसिंहपुर, बालाघाट, सिवनी, रीवा, छिंदवाड़ा और ग्वालियर, बैतूल शामिल है। जबलपुर संभाग के नरसिंहपुर में रविवार से 14 दिन के लिए लॉक डाउन रहेगा।

इंदौर में सभी रेस्त्रां, बैंक्वेट हॉल और बार 31 मार्च बंद रखे जाएंगे। इंदौर होटेलियर एसोसिएशन ने स्वेच्छा से यह निर्णय लिया है। कोरोना वायरस के डर से विदेशों से मध्य प्रदेश आने वाले लोगों को खोजना मुश्किल हो रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद से पूरे प्रदेश में अब तक करीब 1100 लोग प्रभावित देशों से आ चुके हैं। इनमें अकेले 500 का पता भोपाल का है, लेकिन इनमें करीब 30 फीसदी लोग नहीं मिल रहे हैं। इसकी वजह यह है कि उनके पासपोर्ट में लिखा पता बदल गया है। फोन नंबर भी सभी में नहीं है।

मध्य प्रदेश में शनिवार को एक भी नया मरीज नहीं : मध्य प्रदेश में शुक्रवार दोपहर तक एक भी मरीज नहीं था। इससे दूसरे देशों में रह रहे प्रदेश के लोग वहां से मध्य प्रदेश आ रहे हैं। प्रभावित देशों से भोपाल में आने वाले लोगों को क्षेत्र के अनुसार 8 जोन में बांट दिया गया है। हर जोन के लिए एक अधिकारी नियुक्त है। हर एक संदिग्ध की निगरानी का जिम्मा किसी न किसी कर्मचारी को दिया गया है। वह फोन व व्हॉट्सएप पर उसकी जानकारी लेते हैं।

शासन हुआ सक्रिय, जिलों में अफसरों को मैदान में उतारा : जबलपुर में कोरोना प्रभावित सामने आने और संदिग्ध मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद शासन ने प्रदेश के सभी जिलों में अपर कलेक्टर और एसडीएम को मैदान में उतार दिया है। ये नोडल अधिकारी के रूप में अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की लगातार निगरानी करेंगे।

दिहाड़ी मजदूरों की चिंता : कोरोना का सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरी पर पड़ा है। इनके सामने भरण-पोषण की समस्या खड़ी हो गई है। ऐसे में मजदूरों के भरण-पोषण का खर्च जल्द ही सरकार उठा सकती है। राज्य शासन ने इस दिशा में विचार शुरू कर दिया है। निर्णय नई सरकार के अस्तित्व में आने के बाद ही हो सकेगा।

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