सीधी(ईन्यूज एमपी)- राजस्व रिकार्ड में फीर्जीवाड़ा कर किसान क्रेडिट कार्ड से ऋृण प्राप्त करने वाले ऋृण माफियाओं पर पुलिस प्रकरण दर्ज होने के बाद नये-नये खुलासे हो रहे है| जिसके आधार पर पुलिस तत्कालीन शाखा प्रबंधक इलाहाबाद बैंक शाखा रामपुर नैकिन एवं मध्यांचल बैंक भरतपुर के तत्कालीन शाखा प्रबंधक को भी सह आरोपी बना सकती हैं। उक्त पूरे प्रकरण की जांच के दौरान शाखा प्रबंधक इलाहाबाद बैंक शाखा रामपुर नैकिन ने अपने पत्र दिनांक 29 मार्च 2019 को जांच अधिकारी को लिखित जानकारी में बताया गया था कि राकेश पाण्डेय पिता गणेशमणि पाण्डेय के दिनांक 7 मार्च 2014 को कृषि कार्य हेतु 2 लाख 84 हजार एवं कृषि भूमी विकास हेतु 5 लाख सावधी ऋृण स्वीकृत किया गया था। किन्तु नियमित भुगतान न होने के कारण दोनों ऋृण खाता 1 नवम्बर 2018 को एनपीए हो गये थें और 29 मार्च 2019 तक किसान क्रेडिट कार्ड के खाते में 2 लाख 96 हजार,68 रूपया एवं सावधी ऋृण खाते में 7 लाख 13 हजार 718 रूपया बकाया हैं। इसी तरह मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा भरतपुर के शाखा प्रबंधक द्वारा दिनांक 14 फरवरी 2019 को जांच अधिकारी को लिखे पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया था कि राकेश पाण्डेय पिता गणेशमणि पाण्डेय को हमारी शाखा से खसरा नं.109,140,232,285,180,128, कुल किता 6 रकवा 1.940 किता 9 भू अभिलेख के आधार पर दिनांक 3 मार्च 2005 को 71 हजार 93 रूपये केसीसी ऋण स्वीकृत किया गया था। जिसे बंद कर पुन:12 दिसंबर 2006 को भू राजस्व खसरा क्रमांक 109,140,232,285,128 के आधार पर साधारण भूमि बंधक योजना के तहत 2 लाख रूपये ऋण स्वीकृत कर वितरित किया गया था। जिसमें आज दिनांक तक 3 लाख 38 हजार 305 रूपये शेष बकाया है एवं खाता माह सितंबर 2014 में एनपीए हो गया था। आरोपी राकेश पाण्डेय पिता गणेशमणि पाण्डेय द्वारा अपनी भूमि से 2 अलग-अलग बैंको से किसान के्रडिट कार्ड का ऋण कूट रचित राजस्व दस्तावेज तैयार कर प्राप्त किया था। जिसमें उक्त दोनो बैंको के शाखा प्रबंधक भी शामिल है जिन्होने राकेश पाण्डेय के द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का छानबीन किए बिना ही अधूरे दस्तावेजों के आधार पर किसान के्रडिट कार्ड का ऋण स्वीकृत कर दिया गया। उक्त मामले की जांच के समय दोनो बैंको में राकेश पाण्डेय के करीब 11 लाख के आसपास ऋण बकाया था। मामले से बचने के लिए जांच होने के उपरांत ही उनके द्वारा ऋण चुकता कर दिया गया। शपथ पत्र में दी गई गलत जानकारी आरोपी राकेश पाण्डेय तनय गणेशमणि पाण्डेय निवासी ग्राम सगौनी तह.रामपुर नैकिन के द्वारा दिनांक 9 जनवरी 2014 को इलाहाबाद बैंक शाखा रामपुर नैकिन से ऋण प्राप्त करने हेतु दिए गए नोटरी से प्रमाणित शपथ पत्र में आराजी नंबर 146,109,140,232,285,180,128 के पैरा 5 में इस बात का उल्लेख किया था कि हमारी उक्त भूमियां किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक,वित्तीय संस्था,समिति,सहकारी बैंक,प्राईवेट बैंक,ग्रामीण बंैक में किसी भी ऋण में बंधक नही है और भूमियां हर प्रकार के भार से मुक्त है। भूमि को प्रथम बार बंधक कर रहे है एवं उक्त भूमियों से किसी भी बैंक से आज दिनांक तक कोई ऋण प्राप्त नही किया गया है। जबकि उपरोक्त सभी भूमियां प्रकरण क्रमांक 126/अ-74/2013-14 आदेश दिनांक 12 दिसंबर 2013 के अनुसार उपरोक्त आराजी मध्यांचल ग्रामीण शाखा भरतपुर शाखा सीधी के पक्ष में बंधक की जा चुकी थी एवं राकेश पाण्डेय द्वारा मध्यांचल ग्रामीण बैंक भरतपुर से वर्ष 2006 में किसान के्रडिट कार्ड एवं 2012-13 में सेवा सहकारी समिति भरतपुर से किसान के्रडिट कार्ड से ऋण प्राप्त कर चुके थे। चूंकी उक्त भूमियों के खसरा में बंधक होने के कारण उनके द्वारा इलाहाबाद बैंक शाखा रामपुर नैकिन में खसरे की जगह बी-1 जमा किया गया। ताकि बंधक भूमियों के संबंध में शाखा प्रबंधक को सही जानकारी न हो सके। बैंको द्वारा नही की गई जांच राष्ट्रीयकृत एवं ग्रामीण बैंको के द्वारा केसीसी बनाने के दौरान सर्च रिपोर्ट तैयार कराई जाती है एवं तहसील से प्रमाणित खसरा,बी-1 व ऋण पुस्तिका तथा संबंधित क्षेत्र के बैंको से नोड्यूज प्रमाण पत्र लिया जाता है। किंतु राकेश पाण्डेय को ऋण स्वीकृत करते समय इलाहाबाद बैंक रामपुर नैकिन द्वारा न तो राजस्व दस्तावेजों का परीक्षण किया गया और न ही नोड्यूज पर ही ध्यान दिया गया। शिकायत की जांच होने के उपरांत जब संबंधित बैंक के शाखा प्रबंधक को सारी बातों की जानकारी हुई तो उनके द्वारा आनन-फानन आरोपी को बुलाकर बकाया कर्ज जमा करने का दबाव बनाया गया और इस शर्त पर राशि जमा करा ली गई कि जब आप कर्ज की राशि जमा करा देगें तो आपके विरूद्ध कोई प्रकरण दर्ज नही हो सकता। जबकि शिकायत इस बात की नही थी कि कर्ज जमा हुआ है कि नही शिकायत तो इस बात की थी कि आरोपी द्वारा राजस्व दस्तावेजों में छेडख़ानी कर एक ही भूिूम से दो-दो बैंको से किसान के्रडिट कार्ड के तहत अवैधानिक तरीके से ऋण प्राप्त किया गया है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ऋण स्वीकृत करने वाले तत्कालीन शाखा प्रबंधक भी सह आरोपी बनाये जा सकते है। उनके द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ऋण स्वीकृत कर आरोपी कर लाभ पहुंचाने का काम किया गया है। कर्ज चुकता हो गया है कि नही यह बात महत्वपूर्ण नही है फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ऋण स्वीकृत करना व प्राप्त करना दोनो अपराध की श्रेणी में आता है। जनार्दन तिवारी,विधिक सलाहकार,जिला न्यायालय सीधी