सीधी (ईन्यूज एमपी) -आजाद शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय तिवारी जिलाध्यक्ष हरीश मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में सरकार जिस दल की रही हो या हो, सभी के द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता बढाने के नित नये प्रयोग एवं प्रयास तो सदैव ही किए जाते हैं किंतु यदि इतने ही भगीरथ प्रयास अध्यापक शिक्षकों की अनगिनत समस्याओं को सुलझाने की दिशा में कर दिए जाएं तो निश्चित ही जब इतनी समस्याओं से लड़ते हुए प्रदेश के अध्यापक सरकारी स्कूलों का परिणाम बेहतर ला सकते हैं और सरकारी स्कूलों के बच्चे उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश पाकर प्रदेश का नाम रोशन करते हैं तो समस्याओं से मुक्त अध्यापक शिक्षक प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में अब्बल रखकर प्रदेश के विकास में सहभागी होंगे । प्रदेश उपाध्यक्ष विजय तिवारी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि शिक्षक अध्यापक ही ऐसी कौम है जो अपने अंधकारमय भविष्य चाहे वह 20 सालों से स्थानांतरण नीति जारी न होना , एनपीएस कटौती की पासबुक संधारित न होना, एनपीएस की रकम निकालने का अधिकार ना होना , अनुकंपा नियुक्ति , वर्षों से लंबित क्रमोन्नति, पदोन्नति, वरिष्ठता सूची जारी ना होना , संकुल या आहरण संवितरण अधिकारी स्तर पर समय पर मंहगाई भत्ता या छठवें वेतनमान के प्रथम या द्वितीय किस्त का भुगतान ना होना एवं एक वर्ष की लंबी अवधि से सरकार द्वारा राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्ति एवं सातवां वेतनमान देने के आदेश जारी करने के उपरांत भी उसका पालन ना होना इत्यादि समस्याओं से दो-दो हाथ करते हुए प्रदेश को निरंतर शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक विकास की ओर ले जा रहा है और सरकार है कि चुनावों के समय में किए गए लंबे चौड़े वादों को गहरी खाई में डालकर सुसुुप्ता अवस्था में हो गई है। जाने या अनजाने में अध्यापक शिक्षक संवर्ग के हितों के साथ हुई छोटी सी भूल कितना फायदेमंद या नुकसानदेह हो सकती है यह भी पर्दे के पीछे नहीं है और विगत वर्षों के आजाद का आंदोलन भी किसी से छिपा नहीं फिर भी .....। जहां नवीन शिक्षण सत्र का आगाज हो चुका है वहीं दूसरी ओर प्रदेश के अध्यापक शिक्षक अपनी लंबी समस्याओं की सूची के साथ आजाद शिक्षक संघ के बैनर तले प्रांत अध्यक्ष भरत पटेल के नेतृत्व में 23 जून के बाद कभी भी धरना, प्रदर्शन, आंदोलन का ऐलान कर सकता है जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी।