जबलपुर (ईन्यूज़ एमपी): मध्यप्रदेश ने रिकॉर्ड प्रबंधन में डिजिटल क्रांति की ओर बड़ा कदम बढ़ा दिया है। जबलपुर कलेक्ट्रेट में प्रदेश का पहला डिजिटल रिकॉर्ड रूम बनकर तैयार हो गया है, जहां अब 1909-10 से लेकर आज तक के 100 साल पुराने जमीन के दस्तावेज सिर्फ एक क्लिक पर उपलब्ध होंगे। इस तकनीकी बदलाव ने न सिर्फ पुरानी फाइलों की धूल झाड़ दी है, बल्कि आम नागरिकों को सटीक, सुरक्षित और पारदर्शी सेवा देने का रास्ता भी खोल दिया है। 48 लाख रिकॉर्ड में से 14 लाख हो चुके हैं डिजिटल जबलपुर जिले में कुल 48 लाख से अधिक राजस्व दस्तावेज मौजूद हैं। इनमें से अब तक 14 लाख दस्तावेजों को स्कैन कर डिजिटल रूप दे दिया गया है। शेष रिकॉर्ड को चरणबद्ध तरीके से डिजिटल किया जा रहा है। कैसे मिलेगा रिकॉर्ड? अब दस्तावेज़ खोजने के लिए बाबुओं की लाइन नहीं लगेगी। बस आपको तहसील और नाम बताना है — कंप्यूटर एक क्लिक में आपके ज़मीन के रिकॉर्ड को स्क्रीन पर ला देगा। इसके लिए विशेष ऑनलाइन एप्लिकेशन और मोबाइल ऐप तैयार किया गया है, जिससे लोग घर बैठे भी दस्तावेज़ प्राप्त कर सकेंगे। रिकॉर्ड सुरक्षित भी, व्यवस्थित भी डिजिटल के साथ-साथ दस्तावेज़ों को प्लास्टिक बैग्स और कलर कोडेड प्लास्टिक डिब्बों में सुरक्षित रखा गया है। हर डिब्बा तहसील, मौजा, वर्ष और मदवार टैगिंग के साथ रखा गया है। रैक और शेल्फ को यूनिक नंबर दिया गया है ताकि एक भी दस्तावेज़ खोने का खतरा न हो। कलेक्टर दीपक सक्सेना की अभिनव पहल यह पूरी व्यवस्था कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना की निगरानी और नेतृत्व में तैयार की गई है। उन्होंने रिकॉर्ड तलाशने की स्मार्ट व्यवस्था बनाकर न सिर्फ अधिकारियों का काम आसान किया, बल्कि आम जनता को भी बड़ी राहत दी। रिकॉर्ड रूम को मिला 'बैंक लॉकर' जैसा दर्जा नई संरचना में रिकॉर्ड रूम को बैंक लॉकर की तरह सुरक्षित और व्यवस्थित बनाया गया है। यह मॉडल अब पूरे प्रदेश और देश के अन्य जिलों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बन सकता है। मध्यप्रदेश का पहला डिजिटल रिकॉर्ड रूम सिर्फ एक सुविधा नहीं, यह सरकारी फाइलों की दुनिया में डिजिटल युग की दस्तक है। अब दस्तावेज़ तलाशना न टाइम खाएगा, न धूल—बस एक क्लिक... और आपकी ज़मीन का सौ साल पुराना इतिहास आपकी स्क्रीन पर होगा!