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नैपकिन निर्माण का कार्य बन्दी पूरे मनोयोग से सीखें इससे उनकी आय बढ़ेगी-पुलिस अधीक्षक श्रीमती जिन्दल





सीधी - नैपकिन निर्माण का कार्य बन्दी पूरे मनोयोग से सीखें इससे उनकी आय का स्त्रोत बढ़ेगा। नैपकिन बनाने का प्रशिक्षण वे अनुशासन में रहकर गंभीरता पूर्वक प्राप्त करें यह उनकी आय का एक जरिया बनेगा। उक्त आशय का सम्बोधन पुलिस अधीक्षक श्रीमती रूचिका जैन जिन्दल ने जिला जेल में मुख्य अतिथि के रूप में दिए। वे आज जिला जेल में बन्दियों को कौंशल उन्नयन के प्रशिक्षण का अवलोकन करने गई थी। उन्होंने कहा कि नैपकिन निर्माण के प्रशिक्षण में बन्दियों के लिए हर संभव सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। महिला बन्दी सिलाई मशीन से सिलाई और कढ़ाई का भी कार्य सीख सकती हैं। जेल से रिहा होने के पश्चात यह कार्य उनके जीवन यापन में सहायक सिद्ध होगा।
इस मौके पर जिला अग्रणी बैंक प्रबन्धक अमर सिंह, राज्य आजीविका मिशन के डीपीएम डा. डीएस बघेल, अंत्यावसायी के प्रबन्धक एएस शुक्ला, यूनियन ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के निर्देशक अरविन्द कुमार, उमाशंकर जायसवाल, महिला बाल विकास के कार्यक्रम अधिकारी विनोद परस्ते, डीपीसी डॉ.के.एम.द्विवेदी सहित पुरूष एवं महिला बन्दी उपस्थित थे।
कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने कहा कि जेल में बन्दियों को सेनेटरी नैपकिन निर्माण का प्रशिक्षण दिलाने का मुख्य उद्देश्य उनके जीवन यापन के स्त्रोत विकसित करना है। बन्दियों द्वारा इस 12 दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरान्त वे नैपकिन बनाने में पारंगत हो जाएंगे। उनके द्वारा बनाए गए नैपकिन हाथोहाथ बिकेंगे। अभी कन्या छात्रावासों, कन्या स्कूलों में 8 हजार नैपकिन प्रतिमाह विकने की उम्मीद है। शर्त यही है कि बन्दियों द्वारा निर्मित किए गए नैपकिन गुणवत्तापूर्ण हो। उन्होंने कहा कि अच्छे ब्राण्ड का नैपकिन 49 रूपये का मिलता है जबकि बन्दियों द्वारा बनाए गए नैपकिन की लागत 12 रूपये आएगी। अतः छात्रावासों के साथ ही खुले बाजार में भी यह हाथोंहाथ बिकेगा। उन्होंने कहा कि बन्दियों को नैपकिन निर्माण का प्रशिक्षण देने के उपरान्त उन्हें साबुन बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह साबुन छात्रावासों, स्कूलों, आंगनबाड़ियों एवं अस्पतालों में बिकेगा। अतः बन्दियों द्वारा उत्पादित किए गए साबुन की गुणवत्ता की ओर पर्याप्त ध्यान दिया जाय और साबुन चन्दन की महक वाला हो। यदि अच्छी गुणवत्ता का साबुन बनाया जाएगा तो इसकी काफी मांग होगी और यह हाथोहाथ बिक जाएगा। उन्होंने कहा कि बंदियों को दिया जाने वाला प्रशिक्षण काफी गम्भीरता से दिया जाय ताकि बंदी नैपकिन निर्माण एवं साबुन निर्माण की तकनीक सीखने के साथ-साथ इसके निर्माण में भी पारंगत हो जांय।
कलेक्टर श्री गढ़पाले ने कहा कि जिले में बेरोजगार युवकों को रोजगार देने के लिए उनका कौंशल उन्नयन विकसित करने के लिए प्रदेश एवं देश की जानी मानी कंपनियों से कोचिंग एवं प्रशिक्षण की सुविधा दिलवाई गई। इससे प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण प्राप्त करने के पूर्व ही रोजगार मिला। कौशल उन्नयन प्राप्त युवकों को रोजगार दिलाने के लिए कई प्रतिष्ठानों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर उन्हें रोजगार दिलाया गया। इसी दिशा में जेल में बन्दियों को प्रशिक्षण देने की शुरूआत की गई है। जो बन्दी रिहा होकर बाहर निकलेंगे यदि वे अपना स्वरोजगार स्थापित करना चाहेंगे तो उन्हें बैंक से ऋण सुविधा दिलाकर उन्हें स्वरोजगारी बनाया जाएगा।

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