इंदौर(ईन्यूज एमपी)-1 फरवरी से जीएसटी के संशोधित नियम लागू होने का ऐलान किया गया था। संशोधन से जरिए 9 अहम बिंदुओं पर कारोबारियों की राह आसान होती नजर आ रही है। हालांकि अब तक नए नियमों को लेकर मप्र में नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है। कारोबारी संशय में है कि तय तारीख से नए नियम अमल में आएंगे या नहीं। राज्यकर विभाग ने साफ कर दिया है कि प्रदेश में नियम संशोधन की प्रक्रिया का चरण पूरा हो चुका है। जल्द नोटिफिकेशन भी जारी होगा। जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठक में दिल्ली में जीएससी संशोधन अधिनियम-2018 के जरिए कई नियमों में संशोधन कर प्रक्रिया को आसान करने की घोषणा हुई थी। साथ ही ऐलान कर दिया गया था कि 1 फरवरी से ये नियम लागू भी होना है। केंद्र द्वारा घोषित नियम लागू होने को लेकर बाजार में असमंजस बना हुआ है। कर सलाहकार भी स्थिति साफ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि राज्य ने अब तक इस नियमों के संशोधन और लागू होने को लेकर कोई आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। टैक्स प्रेक्टिशनर्स एसोसिएशन के सचिव सीए जेपी सर्राफ के मुताबिक असल में केंद्र के संशोधन के बाद जीएसटी के नए नियमों को हर राज्य को भी पास कर स्वीकार करने की प्रक्रिया संपन्न् करना जरुरी है। इसके बाद अधिसूचना में अमल की तारीख घोषित करने के बाद ही नियम लागू हो सकेंगे। असल में संशोधित नियमों के लागू होने से कारोबारियों को कई मुश्किलों के आसान होने की उम्मीद भी बंध रही है। ऐसे में अब तक कोई अधिकारिक आदेश जारी नहीं होने से एक डर भी बना है कि कहीं अमल में देरी नहीं हो जाए। राज्य ने दी मंजूरी राज्य कर (मप्र वाणिज्यिककर विभाग) के संयुक्त आयुक्त सुदीप गुप्ता के मुताबिक घोषणा के मुताबिक संसोधित नियम 1 फरवरी से ही लागू होंगे यह तय हो चुका है। सही है कि प्रदेश में अमल के लिए इन्हें राज्य द्वारा मंजूरी देने की प्रक्रिया जरुरी थी। अध्यादेश के जरिए विधानसभा से संशोधन नियम पर मुहर लग चुकी है। एक्ट भी लाया गया है। विभाग के स्तर पर अधिसूचना जारी होने की प्रक्रिया शेष है। एक-दो दिनों में कभी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। ये हैं नए नियम माल, पैसेंजर वाहन की खरीद व खर्च पर चुकाए जीएसटी का आईटीसी व्यापारी को मिलेगा जीएसटी का अनुपालन नहीं होने पर अब सीधे पंजीयन निरस्त नहीं होगा पहले सस्पेंड की कार्रवाई होगी। जिससे पंजीयन की बहाली भी आसान हो जाएगी। कंपोजिशन डीलर के लिए टर्नओवर की सीमा 1 करोड़ से बढाक़र डेढ़ करोड़ होगी कंपोजिशन का लाभ लेते हुए सर्विस भी दी जा सकेगी। राज्य के जीएसटी कर की इनपुट क्रेडिट को आईजीएसटी दायित्व से भी समायोजित किया जा सकेगा जांच में गाड़ी के साथ ई-वे बिल नहीं होने पर माल मालिक को 14 दिन की समयसीमा विभाग के सामने पेश होने के लिए मिलेगी। उससे पहले गाड़ी पर राजसात होने की कार्रवाई नहीं होगी एक से अधिक बिल के लिए एक साथ क्रेडिट नोट जारी किए जा सकेंगे डिमांड आदेश के विरुद्ध अपील करने पर 10 प्रतिशत भुगतान की सीमा अधिकतम 50 करोड़ होगी