भोपाल(ईन्यूज एमपी)- विधानसभा चुनाव के ठीक पहले लोक निर्माण विभाग में ताबड़तोड़ तरीके से अरबों रुपए के निर्माण कार्यों की निविदाएं जारी की गईं थीं। आचार संहिता लगने के ठीक पहले छह दिन में ही 231 करोड़ रुपए के निर्माण कार्यों को हरी झंडी दे दी गई। ये निर्माण कार्य खासतौर पर रायसेन, सीहोर, विदिशा सहित एक दर्जन जिलों के हैं। लोनिवि मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि गड़बड़ी मिलने पर निविदाएं निरस्त की जाएंगी। प्रदेश में सत्ता बदलते ही नई सरकार ने निर्माण कार्यों से जुड़े विभागों में ऐसे कामकाज की समीक्षा शुरू कर दी है, जिन्हें अंतिम दिनों में ताबड़तोड़ ढंग से अंजाम दिया गया। जांच के पीछे मंशा यही है कि खास लोगों को उपकृत करने नियमों की अनदेखी तो नहीं की गई। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता छह अक्टूबर को प्रभावी हुई थी, सिंतबर अंतिम सप्ताह से छह अक्टूबर तक विभाग ने अरबों रुपए के निर्माण कार्य संबंधी टेंडर जारी किए। इनमें एक से छह अक्टूबर तक 231 करोड़ रुपए के सड़क, भवन और पुल-पुलिया निर्माण के कार्यादेश जारी हुए। छह दिन में 29 कार्यादेश बताया जाता है कि इस मामले में नई सरकार यह पड़ताल करने का प्रयास कर रही है कि वे कौन लोग हैं, जिन्हें उपकृत करने के लिए विभाग ने अंतिम दिनों में ताबड़तोड़ ढंग से टेंडर प्रक्रिया पूरी की। आचार संहिता लगने तक अंतिम छह दिन में रायसेन, सीहोर, विदिशा, होशंगाबाद, दमोह, जबलपुर, सागर, इंदौर, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, रीवा और टीकमगढ़ जिलों में निर्माण संबंधी कार्यों को लोनिवि ने हरी झंडी दी। इन जिलों में 68 लाख से लेकर 50 करोड़ रुपए तक के 29 निर्माण कार्यों के वर्क आर्डर मंजूर हुए। इन कार्यों को हरी झंडी रायसेन जिले के मंडीदीप में मॉडल डिग्री कॉलेज भवन 725 लाख रुपए, लटेरी (विदिशा) में हॉस्टल विस्तार 116 लाख, शाजापुर नवीन हाई स्कूल भवन 1068 लाख, होशंगाबाद जिले के सकतपुरा, गोरा चांदल में सड़क निर्माण 1617 लाख, बुदनी (सीहोर) सतराना-चकल्दी मार्ग निर्माण 1223 लाख, रतलाम बरगड़ फंटा-भैंसाना फंटा सड़क 3977 लाख, रीवा मेडिकल कॉलेज में आवास 459 लाख, रीवा में छात्रावास 1061लाख, जबलपुर मेडिकल कॉलेज में टीबी-चेस्ट भवन 849 लाख, गढ़ाकोटा (सागर) महाविद्यालय विस्तारीकरण 1237 लाख एवं कटनी में रेलवे ओवरब्रिज 4992 लाख रुपए के निर्माण कार्यों की निविदाएं जारी हुई हैं। एग्रीमेंट में है प्रावधान विभागीय सूत्रों का कहना है कि निर्माण के लिए जिस ठेकेदार को कार्यादेश दिया जा रहा है, उसके साथ विभागीय एग्रीमेंट में यह प्रावधान रहता है कि यदि काम शुरू नहीं हुआ तो उसकी नए सिरे से समीक्षा हो सकती है। वर्क ऑर्डर जारी हो चुका है तो उसे स्थगित भी किया जा सकता है।