भोपाल(ईन्यूज एमपी)- मुख्यमंत्री कमलनाथ ने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि में 2003 से अब तक हुई नियुक्तियों और अन्य मामलों की जांच बैठा दी है। छह बिंदुओं पर जांच करने के लिए मुख्यमंत्री ने जनसंपर्क विभाग के अपर मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच दल बनाया है। रेड्डी के अलावा इस जांच दल में मुख्यमंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी भूपेंद्र गुप्ता और संदीप दीक्षित भी शामिल हैं। सरकार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पक्ष में विचारधारा बनाने के लिए पाठ्यक्रम में किए गए परिवर्तन की भी जांच करा रही है। जांच दल यह भी बताएगा कि विवि में हुई गड़बड़ियों का जिम्मेदार कौन है। गौरतलब है कि 15 साल में विपक्ष में रहने के दौरान कांग्रेस ने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि में हुई नियुक्तियों और यहां संचालित गतिविधियों को लेकर कई बार सवाल उठाए हैं। विवि में हुए फर्जीवाड़े को लेकर कांग्रेस ने कई जगह शिकायत की है। कांग्रेस का आरोप है कि विवि के अधिकारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए काम कर रहे हैं। इन बिंदुओं पर होगी जांच विवि में साल 2003 से की गई नियुक्तियों में भर्ती प्रक्रिया या आरक्षण का पालन किए जाने की जांच और अनियमितता पाई गई तो इसके लिए उत्तरदायित्व का निर्धारण। विवि पाठ्यक्रम एवं शैक्षणिक प्रणाली में एक विशिष्ट विचारधारा के पक्ष में परिवर्तन किए जाने की जांच। विवि द्वारा दिए जाने वाली अनुसंधान परियोजनाओं में व्यक्तियों या समूहों को लाभ पहुंचाने के लिए किए गए पक्षपात की जांच। साल 2003 के बाद विवि प्रशासन द्वारा यूजीसी के मापदंडों के उल्लंघन की शिकायतों की जांच। व्यक्तियों या समूहों को लाभ पहुंचाने के लिए किए गए अनुपयोगी खर्च की शिकायतों की जांच। प्रदेश के विभिन्न् स्थानों पर व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए अनावश्यक शिक्षण केंद्रों को खोलने की शिकायतों की जांच। सरकार ने जांच समिति की जगह कांग्रेस की दल समिति बनाई: राहुल कोठारी इधर, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राहुल कोठारी ने मुख्य सचिव द्वारा माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की जांच करने हेतु बनाई गई समिति को अवैधानिक एवं असंगत बताया है। कोठारी ने कहा कि कांग्रेस सरकार विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता में सीधे दखलअंदाजी कर रही है, जो न केवल शर्मनाक है अपितु देश के इस प्रतिष्ठित संस्थान से निकले भारत के भविष्य निर्माताओं का अपमान भी है। एक तरफ कांग्रेस पार्टी ने अपने वचन पत्र में जांच कराने के लिए जन आयोग का गठन करने की घोषणा की थी जिसमें विधि विशेषज्ञ, पत्रकार और शिक्षाविदों को सम्मिलित करने की बात की थी लेकिन यह कांग्रेसी जांच दल गठित किया गया है, जिसमे सदस्य कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं निवृतमान प्रदेश प्रवक्ता हैं, जिनके पास जांच करने हेतु कोई तकनीकी योग्यता नहीं है। इससे साफ जाहिर है कि सरकार ने जांच समिति की जगह कांग्रेस की दल समिति बनाई है।