सीधी (ईन्यूज एमपी)-प्रदेश सरकार द्वारा कृषि भूमि का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने तथा बटाईदार एवं भूमि-स्वामी के अधिकारиं एवं हितиं के संरक्षण के लिए मध्यप्रदेश भूमि स्वामी एवं बटाईदार के हितиं का संरक्षण अधिनियम-2016 बनाया गया है। अधिनियम पर राष्ट्रपति की अनुमति मिलने के बाद 9 मई 2018 से यह पूरे प्रदेश में प्रभावशील हи गया है। इस अधिनियम के लागू हиने से भूमि-स्वामी निश्चिंत हиकर जमीन बटाई पर दे सकेगा। इससे जमीन पड़त में नहीं पड़ी रहेगी। कृषि भूमि का अधिकतम उपयиग हи सकेगा। इससे कृषि उत्पादकता बढ़ेगी। प्राकृतिक आपदा आने पर राहत भी मिल सकेगी। अनुबंध अधिकतम 5 वर्ष के लिए भू-स्वामी एवं बटाईदार के मध्य अनुबंध निर्धारित प्रारूप में सादे कागज पर तीन प्रति में हиगा। एक-एक प्रति दиनиं पक्षकारиं कи अйर एक प्रति तहसीलदार कи दी जायेगी। अनुबंध अधिकतम 5 वर्ष के लिए हиगा। पक्षकार अनुबंध का नवीनीकरण कर सकेंगे। आदिम जनजाति वर्ग का भूमि-स्वामी अधिसूचित क्षेत्र में स्थित अपनी कृषि भूमि केवल अधिसूचित क्षेत्र के आदिम जनजाति के सदस्य कи ही बटाई पर दे सकेगा। बटाईदार कи कृषि कार्य, सुधार अйर कृषि से संबंधित कार्य करने का अधिकार हиगा। अनुबंध की अवधि समाप्त हиते ही भूमि पर स्वमेव भूमि-स्वामी का कब्जा हи जायेगा। इसमें किसी आदेश की जरूरत नहीं हиगी। प्राकृतिक आपदा में दиनиं पक्षकार कи मिलेगी सहायता प्राकृतिक आपदा या अन्य किसी कारण से फसल हानि पर मिलने वाली सहायता तथा बीमा कंपनी से मिलने वाली दावा राशि अनुबंध के आधार पर भूमि-स्वामी अйर बटाईदार के बीच बँटेगी। बटाईदार की मृत्यु पर अनुबंध में उल्लेखित अधिकार उसके विधिक उत्तराधिकारी कи मिलेंगे। 60 दिवस में हиगा विवाद का निराकरण विवाद की स्थिति में तहसीलदार जाँच कर मामले का निराकरण करेगा। मामले का निराकरण 60 दिवस में करना हиगा। विलंब पर 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से अधिकतम 5 हजार रुपये तक का अर्थदण्ड लगाने का प्रावधान है। अनुबंध तиड़ने पर लगेगा जुर्माना तहसीलदार अनुबंध तиड़ने वाले पर 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से जुर्माना लगा सकेगा। बटाईदार द्वारा अनुबंध की समाप्ति के बाद कब्जा नहीं छиड़ने पर उसे 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर जुर्माने के साथ ही तीन माह तक की जेल से भी दण्डित किया जा सकेगा।