सीधी(ईन्यूज एमपी)-कहते है कि सरकार का फैसला अंतिम सर्वमान्य होता है लेकिन सीधी जिले में यह बात पूर्णतया गलत साबित हो रही है,यहा के कर्मचारी सरकार के नियम कायदों को धता बधाते हुए अपनी मर्जी का कानून चलाने के लिए ए दिन सुर्खियों में बने रहते है,जिसका ताजा उदाहरण एक हरिजन के साथ हो रहे अन्याय के रूप में उभर कर सामने आया है,जहाँ एक पटवारी द्वारा हरिजन को बिगत तीन वर्षो से गोल गोल घुमाया जा रहा है,और हर जगह से थक हार कर प्रार्थी द्वारा मीडिया के समक्ष अपनी बात रखी गयी | बंजारी निवासी लल्ली बसोर द्वारा बताया गया कि सरकार द्वारा उसे भूमि अधिकार अधिनियम के तहत खसरा क्रमांक 1036 -रकवा 0.02 हेक्टेयर भूमि का अधिकार प्रमाण पत्र वर्ष 2015 में दिया गया था,लेकिन आज दिनांक तक उक्त जमीन को पटवारी दीपचंद द्वारा हितग्राही के नाम खसरे में दर्ज नही की गयी है जबकी हितग्राही द्वारा कई बार पटवारी साहब से मिन्नते की गयी साथ ही उच्च अधिकारियो से भी गुहार लगी गयी लेकिन सरकार द्वाराप्रदत्त भूमि का मालिकाना हक़ आज तक हितग्राही को नही मिल सका है | यदि गौर किया जाये तो आये दिन पटवारियों के यहाँ मेले लगते है,जहा हितग्राही याचक की भाति पटवारी दरबार में खड़े रहते है की कब कृपा बरस जाये लेकिन कृपा किस पर और कब बरसेगी ये तो पटवारी साहब ही बता सकते है | उल्लेखनीय है की सीधी जिले के गोपद बनास तहसील में करीब दर्जन भर पटवारियों की तानाशाही के चलते किसान तो किसान है, अच्छे- अच्छे नाक रगड़ते देखे जाते है| पटवारियों की कारगुजारियो की अगर जिला प्रशासन निष्पक्ष कलई खोले तो बड़े से बडे रैकेट उभर कर सामने आयेगे,जीता जगता उदाहरण रेलवे भू-आर्जन ही ले लिया जाये तो क्या कम होगा ...? एस डी ओ राजस्व,तहसीलदार नायब तहसीलदार और राजस्व निरीक्षक के इर्द-गिर्द दिनरात चक्कर काटने वाले ये पटवारी साहबानो से सैकड़ो लोग त्रस्त है देखना होगा की इस गरीब हरिजन के प्रतिशासन क्या कदम उठता है |