सतना ( ईन्यूज़ एमपी ) - प्रदेश सरकार कितनी भी किसानो के हित की बात करे,, पर जमीनी हकीकत बिल्कुल ही उलट नजर आतीаहै,, प्रदेश की तीसरे स्थान की बड़ी मंडियों में सुमार सतना कीаनागौद मंडी के हाल देख सहज ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सतना है,, की सरकार किसानों के हित उनकी सुविधा के लिए कितने भी कदम उठए लेकिन उनका लाभ व्यापारी और अधिकारी ही उठाते है,, नागौद मंडी में लाखों की लागत से बड़े बड़े सेड बनाये गए थे,, मकसद था की किसान अपनी फसल को पानी धूप से बचा कर रखे और बेंच सके,, लेकिन उन सभी सेड में व्यापारियों का कब्ज़ाаहै,, वहीаकिसान चिलचिलातीаधूप में फसल रख कर बैठने को मजबूर है ! सतना जिले की नागौद तहसील की कृषि उपज मंडीаप्रदेश के अब्बल मंडियों में शामिल है,, इस मंडी के ही हाल बेहाल नजर आते है,,, किसमो को लाभ पहुँचाने के मागसद से बानी इस मंडियों में किसानो के हाल बेहाल है,, उन्हें लाभ पहुँचाना तो दूर उनके हक़ पर ही डंका डाला जा रहा,, लाखो की लागत से इस मंडी में सेड बनाकर छाया दार बनाया गया,, ताकि किसान पानी धूप से अपनी फसल को यहाँ सुरछित रख सकें,, और खुद भी छाओं में बैठे ताकि मंडी परिसर में उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत ना हो,, लेकिन उन तमाम सेडों में स्थानी व्यापारियों ने कब्ज़ा कर लिया है,, ब्यापारी अपना सारा अनाज इस सेडों में महीनो तक रखेаरखते है,, और किसानो को एक इंच की जगह नहीं देते,, अपनी फसल को लेकर मंडी में पहुँचने वाला हर एक किसान को जब अपनी फसल रखे को मंडी में जगह नहीं मिलती,, तो मजबूर होकर खुले आसमान के नीचे ही रखना पड़ता है,, नियम है की यदि कोई व्यापारी किसानो से माल खरीदता है,, तो 24 घंटे के अंदर अपना माल उठा कर मंडी परिसर से बाहर अपने साथаलेजाए,, लेकिनаमंडी प्रवंधन की नाक के नीचे व्यापारी खुलेआम अपनी मनमानी करते है,, वहीँаमंडी प्रवंधन से जब इस बाबत पूंछा गयाаतो गैरजिम्मेदाराना जबाब देते हुए कहाаकी किसान अपनी फसलों को खुले में ही रखना पसंद करते है।