सीधी : किसान कल्याण तथा कृषि विकास के उप संचालक कृषि महेन्द्र सिंह चन्द्रावत ने बताया कि जिले में उर्वरक का व्यवसाय करने वाली फर्मों जिन्होंने अपने लायसेन्स का नवीनीकरण नहीं करवाया है उनके लायसेन्स स्वमेव निरस्त हो गए हैं। अब वे फर्म किसी भी प्रकार का उर्वरक व्यवसाय नहीं कर सकेंगी और न ही कम से कम एक वर्ष की अवधि तक उसी फर्म के नाम से नया उर्वरक विक्रय रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र जारी किया जा सकेगा। उप संचालक कृषि श्री चन्द्रावत ने बताया कि उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 के खण्ड 9 के अधीन प्रदत्त प्रत्येक रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र, जिसका उसके अवसान अवधि अथवा उसके पश्चात एक माह ग्रेसपीरियड (विलम्ब शुल्क सहित) के अन्दर खण्ड 11 के तहत नवीनीकरण की कार्यवाही नही कराने वाले ऐसे सभी फर्मों के रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र (लायसेन्स) जो स्वमेव निरस्त हो गए हैं को पूर्ण रूप से निरस्त किया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि विधि मान्य समय के अन्दर रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र नवीनीकरण कराए बिना अथवा नया रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना कोई भी फर्म उर्वरक व्यापार करते पायी जाएगी तो उसके विरूद्ध उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 में निहित प्रावधानों के तहत नियमानुसार सभी वैधानिक कार्यवाही की जाएगी जिसके लिए संबंधित फर्म स्वयं जवाबदार होगी।