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देवी साधना के विभिन्न रूप से भाव भक्ति में झूम रहे लोग

अलौकिक है अलोप माता की महिमा
पथरौला/सीधी (ईन्यूज यमपी):-- खंड मझौली के ग्राम बंजारी स्थित बराती तालाब अलोप माता तथा पथरौला अंचल मे काली मंदिर के दरबार मे भक्तों द्वारा जवारे के साथ मां के दरबार में भगत गाते झूमते और भक्ति में डूबे नजर आए। जहां ग्रामीणों द्वारा जवारे के साथ माता के दरबार में पहुंच कर लोक भाषा बघेली में भगत गायन किया गया। जिसमें ढोल, नगाड़े, मजीरा एवं चिमटा के धुन पर भगत गायन करते भक्तजन मस्त धुन में झूमने लगे।वही देवी मां की साज-सज्जा में काली रूप धारण कर खप्पर के साथ काली नृत्य काफी देर तक चलता रहा। वहीं मां के दरबार में जवारे रखकर सभी ने अपनी अपनी मन्नत पूरी करने के लिए माथा टेकते रहे। वहीं पथरौला काली मंदिर मे क्षेत्रिय कलाकारों के द्वारा देवी गीत, भगत आदि का कार्यक्रम रखा गया।
अलोप माता की महिमा के बारे में बताया गया कि इसका भी इतिहास में किंवदंती है कि गर्मी के समय में इस तालाब में एक बारात दूल्हे दुल्हन की पालकी सहित पहुंची। सुबह का समय था लेकिन तालाब पूरा सूख चुका था। जिस कारण बारातियों द्वारा तंज कसते हुए कहा गया कि यह कैसा तालाब है जिसमें सौच तक के लिए पानी नहीं है। उसी समय माता का चमत्कार हुआ कि पूरा तालाब लबालब पानी से भर गया। और पूरी बारात उसी तालाब में डूब गई। बानगी के रूप में पालकी के आकार का एक पत्थर और आजू-बाजू दो छोटे पत्थर हैं जिन्हें कहा जाता है कि यह दोनों आजू-बाजू के पत्थर कहार हैं और बीच का पत्थर पालकी है।जो पाषाण का रूप ले लिया है। उसी घटना के बाद से इसका नाम "बाराती तालाब'' हो गया ।इसी तरह माता महिमा के संबंध में कई और भी जन श्रुतियाँ कही जाती हैं।जिससे लोगों का विश्वास आज भी देवी मां के प्रति कायम है।और शारदीय नवरात्रि एवं चैत्र नवरात्रि में यहां भक्तजन अपनी अपनी समस्या और मनोकामना लेकर आते हैं। और माता के सामने झोली फैलाकर (मन्नत) मांगन मांगते हैं। उनकी समस्या का समाधान या मनोकामना पूरी होने पर देवी मां के दरबार में जवारे चढ़ाते हैं या की कन्या भोज और कथा करवाते हैं।
मंदिर ना होने का ग्रामीणों में है मलाल:--ऐसे ऐतिहासिक देवी की अलौकिक महिमा से जहां लोग आज भी उसी आस्था और विश्वास पर देवी माता के दरबार में जाते हैं और उनकी मन्नते पूरी होती है।बावजूद इसके आज तक यहाँ मंदिर न होने से ग्रामीणों में निराशा भी है और खेद भी है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां ग्राम पंचायत के चुनाव में पिछले 5 पंचवर्षीय से सरपंच पद के प्रत्याशी मां के दरबार में आकर सार्वजनिक तौर पर वादा करते हैं कि चुनाव जीत जाएंगे तो मंदिर का निर्माण करा देंगे।लेकिन 5 सरपंचों की मन्नत पूरी भी हुई लेकिन उन लोगों के द्वारा मंदिर निर्माण को लेकर ना तो प्रयास किया गया और ना ही मंदिर बनवाया गया।जिसे भक्तजन मां के साथ वादाखिलाफी किया जाना बताते हैं।

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