सीधी(ईन्यूज एमपी)-आज कचहरी की व्यस्तता के बाद शाम को सोशल मीडिया पर जानकारी मिली कि सीधी के वरिष्ठ विधायक केदारनाथ शुक्ल जी अचानक अस्वस्थ हो गए, जिला चिकित्सालय में भर्ती हैं। मेरा चिंतित होना स्वाभाविक था। क्योंकि उनके साथ हमारे रिश्ते 40 साल पुराने हैं, वह भी विद्यार्थी काल से है। मैं उन्हें आज भी अपना गुरु, मित्र, पथ प्रदर्शक मानता हूं । हालांकि हमारे दल अलग हैं, विचार अलग हैं, मत अलग हैं, किंतु हम दोनों के दिल और मन के बीच कोई दीवार नहीं है। उसके तत्काल बाद मैं सतत अपने मीडिया मित्रों के संपर्क में रहा, और उनसे पल-पल की खबर लेता रहा। मुझे मीडिया मित्रों के द्वारा जो खबरें मिली वह बहुत दुखदाई थी। मसलन सीधी संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी श्रीमती रीति पाठक को आज नामांकन दाखिल करना था। उसी सिलसिले में छत्रसाल स्टेडियम में सभा थी और उसी सभा में उपस्थित होने के लिए केदार भैया घर से रवाना हुए। अचानक रास्ते में उनकी तबीयत नाशाद हुई, उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। चिकित्सकों ने जांच के बाद उन्हें गहन चिकित्सा में रखा। यह खबर आग की तरह फैली। गत वर्ष भी केदार भैया को दिल का दौरा पड़ा था। वे महीनों भोपाल के अस्पताल में भर्ती थे। यह सभी जानते हैं। किंतु सोशल मीडिया पर उनके आकस्मिक अस्वस्थता को लेकर जिस तरह की टिप्पणियां की जा रही थी, उसे पढ़कर मैं मर्माहत हुआ, व्यथित हुआ कि हम अपने राजनैतिक स्वार्थों के लिए किस सीमा तक पतित हो सकते हैं ? जिस किसी को यह खबर मिली और जो सीधी शहर में मौजूद था। चाहे वह किसी दल का व्यक्ति हो सभी ने अस्पताल पहुंचकर केदार भैया का कुशल क्षेम पूछा। शहर में मौजूद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ,प्रदेश के पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल, सभी विधायक गण और अन्य जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, अधिवक्ता ,पत्रकार गण अस्पताल पहुंचे। परंतु सीधी सांसद श्रीमती रीती पाठक इतनी व्यस्त रही कि उन्हें बीमार विधायक श्री शुक्ल जी का कुशल क्षेम पूछने के लिए अस्पताल जाना तो दूर फोन पर भी संपर्क नहीं किया। यह सुनकर असहज लगा। इसके अलावा अन्य गणमान्य लोग जो दूरदराज थे, उन्होंने मोबाइल के जरिये केदार भैया से मोबाइल पर बात की, उनके कुशल क्षेम जाना । जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, मध्य प्रदेश के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भैया सहित अनेक दल के नेताओं ने केदार भैया से बात की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। अनेक अवसरों पर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी कहा करते थे की राजनीतिक नेताओं से मेरे मतभेद हो सकते हैं ,परंतु मन भेद नहीं है ।आखिर यह मन क्या है ? उसका मर्म आज तक अटल जी के अनुयाई नहीं समझ पाये। मुझे दुख इस बात का है। इस संदर्भ में मुझे एक घटना याद आती है ।बात बहुत पुरानी है। यदि आप 25 -30 साल पहले चुरहट गए हो, तो पुराने बस स्टैंड में झदवा देवी मंदिर के सामने सड़क किनारे एक विशालकाय सेमल का पेड़ था। और हमारे गांव में एक शेर बहादुर सिंह मास्टर साहब हुआ करते थे। रात में वह जब दारु भट्टी से लौटते तो किसी आम आदमी से कोई बात नहीं करते थे। किसी को छेड़ते नहीं थे। वे सिर्फ अपना प्रतिद्वंदी उसी सेमल के विशालकाय वृक्ष को मानते थे ।और उसी के पास खड़े होकर संवाद करते कि- तू ही मेरे मुकाबले दूसरा बाहुबली है ।और उसी के साथ संवाद करते। और थके हारे देर रात घर वापस चले जाते। वक्त बीता अचानक एक रात आंधी तूफान में सेमल का वह पुराना विशालकाय वृक्ष धराशाई हो गया। और उसके जद में आकर दो लोगों की मौत भी हो गई। दूसरे दिन मास्टर साहब बस स्टैंड आये तो उन्होंने वह दृश्य देखा। खामोशी के साथ दारु भट्टी चले गए ।और रात लौटे तो सारी रात उस धराशाई वृक्ष से लिपट कर रोते रहे। और कहा कि कि मेरा प्रतिद्वंदी चला गया ।अब मैं किससे मुकाबला करूगा। यह क्रम हफ्तों चला। कभी-कभी हम अपने स्वार्थ ,अहंकार ,पद लोलुपता के इतने वशीभूत हो जाते हैं कि हम समय ,समाज के सत्य से विमुख होकर खुद-ब-खुद अपनी कब्र खोद लेते हैं। ऐसी विभूतियों को ईश्वर सद्बुद्धि दे और उनका भला करें। हमारे वेद, पुराण, उपनिषद, धर्मशास्त्र और सनातन संस्कृति हमें यही शिक्षा देती है। यदि उससे प्रेरणा ले सकें तो उचित है ।अन्यथा अपने पराभाव के लिए तैयार रहे। लेखक - सोमेश्वर सिंह सीधी