मझौली(ईन्यूज एमपी)- मझौली विकासखण्ड अन्तर्गत लगभग 53 ग्राम पंचायतें हैं जिन्हें शासन की तरफ से स्वक्षता अभियान में जोड़ा गया था व उस समय के तत्कालिक कलेक्टर विशेष गढ़पाले द्वारा हर घर में शौचालय बनाए जाने का लक्ष्य दिया गया था जिस पर आनन.. फानन में हर ग्राम पंचायतों में शौचालय बनाने की जिम्मेवारी सरपंच, सचिव व रोजगार सहायकों को दी गई थी व इनके द्वारा इस कार्य में तेजी लाने व एक माह के अन्दर ग्राम पंचायत को ओडीएफ कराने का दवाब के साथ जिला कलेक्टर से पुरस्कृत होने का भूत सा सवार था व रात और दिन शौचालय बनवाने की एक होड़ सी लगी थी, जिस कारण शौचालय बनाने की गुणवत्ता पर भी ध्यान इन जिम्मेवारों द्वारा नहीं दिया गया इन्हें सिर्फ शौचालयों के सामने खड़ा कर फोटो खीचने से मतलब था।15 अगस्त को सरपंच सचिवों समेत जनपद सीईओ अनिल तिवारी को बकायदा पूर्व मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित भी किया गया जबकि जमीनी सच्चाई को दबा दिया गया। लगभग हर ग्राम पंचायत के ग्रामीणों के विरोध व शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया था जिसका परिणाम आज यह है की शासन द्वारा बनवाए शौचालय या तो आज ग्रामीणों के घरों से गायब है या अगर कहीं है भी तो उपयोग लायक नहीं वरन लकड़ी व कण्डे रखने का उपयोग किया जा रहा जबकि शौच के लिए लोग घरों से बाहर जा रहें हैं। आज भी लोग सहायता राशि को लगा रहे चक्कर इस सरकारी योजना पर जिम्मेवारों द्वारा जम कर लूट खसोटी की गई कई ग्राम पंचायतों में ठेकेदारी प्रथा पर कार्य देकर हिग्रहियों का पैसा डकार लिया गया जबकि आज भी उनके यहाँ शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है व हितग्राही चारों तरफ शिकायत के बाद थक हार कर बैठें हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित हुए गरीब हरिजन आदिवासी जानकारों की माने तो इस योजना से गरीब हरिजन व आदिवासियों को ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित करना था व उन्हें घर से बाहर शौच के लिए जाने से रोकना था लेकिन यहां भी जिम्मेवारों द्वारा उनकी माशूमियत व भोलेपन का फायदा उठाकर उनके यहाँ सिर्फ गड्ढ़े खुदवाकर पूरी राशि डकार ली गई। एक लाइन में बने 22 शौचालय पर्यटकों के लिए बने आकर्षण का केंद्र इसे आकर्षण का केंद्र बिन्दु ही कहा जाए तो बेहतर होगा ग्राम पंचायत चमराडोल में बसोर मुहल्ले पर पड़वारी नदी के ठीक किनारे एक लाइन पर 22 परिवारों के लिए एक साथ 22 शौचालयों का निर्माण रामसुमिरनए स्वामीदीनए रामदीनए मातादीनए मनरजुआ एविनोदए मोतीलालए हरीलालए छोटेलालए बुद्धशेनए रामजीए आशाए छोटकौनीए शिवप्रशादए छोटकीए अनीशए वंशपतीए छोटानीए शुखसेनए शुदर्शनए सुदामा व दीनबन्धु बसोर के नाम वहां के जिम्मेवारों द्वारा करा दिया गया जबकि टैंक शौचालय के हिसाब से न बनाकर नदी के तट पर बनवा देने पर बरसात के बाढ़ में ध्वस्त हो गए व उनका उपयोग एक भी दिन इस परिवार द्वारा नहीं किया गया लेकिन इनकी कतार आज भी वहां से निकलने वाले अभ्यारण्य के पर्यटकों के लिए एक आकर्षण बनी हुई है।