सीधी ( सचीन्द्र मिश्र) मकर संक्रांति का पर्व आज जिले भर में धूम धाम के साथ मनाया जा रहा है , सोननदी के भंवरसेन , कोलदह , गायघाट , जोगदह सहित अन्य दर्जनों तटों पर लाखों की संख्या में श्रध्दालु आस्था की डुबकी लगायेंगे । संक्रांति के पर्व पर यंहा सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस अधीक्षक तरुण नायक ने भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिये हैं वंही असुरक्षित वाले स्थानों को चिन्हित कर स्नान पर पावंदी लगाई गई है ताकि किसी भी तरह की अनहोनी से बंचा जा सके । हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में शामिल मकर संक्रांति जो सूर्य के उत्तरायन होने पर मनाया जाता है। इस पर्व की विशेष बात यह है कि यह अन्य त्योहारों की तरह अलग-अलग तारीखों पर नहीं, बल्कि हर साल 14 जनवरी को ही मनाया जाता है, जब सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है। संक्रांति का संबंध सीधा पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से है। जब भी सूर्य मकर रेखा पर आता है, वह दिन 14 जनवरी ही होता है, अत: इस दिन मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है । ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायण की गति प्रारंभ होती है यही कारण है कि संक्रांति से शुभ कार्यों का श्री गणेश भी किये जाने परम्परा है । अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार इस पर्व के पकवान भी अलग-अलग होते हैं, लेकिन दाल और चावल की खिचड़ी इस पर्व की प्रमुख पहचान बन चुकी है। विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है। इसके अलावा तिल और गुड़ का भी मकर संक्राति पर बेहद महत्व है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान उपरांत सूर्य को अर्घ्य देकर तिल का भोग लगाया जाता है । बतादूं कि विंध्य क्षेत्र में संक्रांति का पर्व परम्परागत ढंग से मनाया जाता है और लोग इसे स्थानीय भाषा बघेली में खिचड़ी के नाम से पर्व मनाते हैं , संक्रांति के दिन घरों में वनने वाले तिल , लाई , फूटे के लड्डू जंहा काफी रोचक होते हैं , वंही सथानीय तटों या मंदिरों में लगने वाले मेलों में गन्ने की खूब खरीदी होती है ।