सीधी(ईन्यूज एमपी)-जिले में इन दिनों एक बार फिर रेत तस्करों के हौसले इस कदर बुलंद हो चुके है की इन्हे न तो प्रशासन का भय है न ही प्रशासनिक कार्यवाही का,बल्कि प्रशासन की कमियों का फायदा उठाकर धड़ल्ले से रेत का कारोबार कर रहे है| जिले में रेत का कारोबार काफी लम्बे समय से चल रहा है, ये बात और है की समय समय पर प्रशासन द्वारा इस पर अंकुश लगाने के प्रयास किये जाते रहे है, लेकिन समय बीतने के साथ ही अंकुश में लचक आते ही दोबारा पुराने ढर्रे पर काम जारी हो जाता है| बात करे जिले के मझौली व कुशमी अंचल की तो जिला मुख्यालय से दूर वनांचल क्षेत्र होने के कारण प्रशासनिक पकड़ यहाँ आते आते कमजोर पड़ने लगती है जिसका फायदा रेत तस्करों को भरपूर मिलता आ रहा है, वही जिम्मेदारो का सहयोग भी सराहनीय रहा है| बात करे जिम्मेदारो की तो पुलिस,राजस्व,खनिज व वन विभाग के द्वारा सार्वजानिक रूप से अवैध रेत के कारोबार का विरोध किया जाता है, लेकिन पर्दे के पीछे से इनके द्वारा अवैध रेत के कारोबार को फलदार पौधे की तर्ज पर पालापोषा जा रहा है यही कारण है, की इन पर अंकुश नही लग पा रहा है| बतादे की जनपद पंचायत मझौली में धुआडोल के निधपुरी व भुमका समेत कई अन्य रेत की वैध खदाने है, जिनसे वैध परिवहन की आड़ में सरकार के नियमो की धज्जिया उड़ाते हुए अवैध रेत परिवहन किया जा रहा है|इसी प्रकार जनपद पंचायत कुशमी में स्थित गोतरा व प्रदेश की सीमा में स्थित छत्तीसगढ़ बार्डर पर हरचोखा से रेत का गोरख धंधा चल रहा है| प्रशासन द्वारा सुलभ व सस्ती रेत उपलब्ध करने के उद्देश्य से ग्राम पंचायतो को रेत खदानों की लीज जारी की गई थी, लेकिन रेत के कारोबार में लिप्त मफिययो की गिद्ध दृष्टि के चलते यहां से 2 नम्बर की रेत को वैध बनाने का काम जोर शोर से चल रहा है, हा ये बात अलग है की पुराने हिस्सेदारों में कुछ और हिस्सेदारों की बढ़ोतरी हो गई है,बाकी खेल वही है, पहले जहां राजस्व,पुलिस,खनिज,व वन विभाग के सहयोग से यह खेल चल रहा था, वही अब सरपंच व सचिवो की भी मिली भगत शामिल हो गई है|इन सबके द्वारा दिखावे के लिए दिन में तो लीज के नियमो का पालन किया जा रहा है, लेकिन जैसे जैसे रात बढ़ती है इनके मंसूबे भी बहार आने लगते है, लीज की खदानों पर बड़े वाहनों का प्रवेश होने लगता है, और मशीनों से ओवर लोडिंग शुरू हो जाती है,जो पूरी रात तक चलती है, यहां एक ही टीपी पर एक ही वाहन द्वारा कई चक्कर लगाये जाते है,यही नहीं वैध खदानों द्वारा अन्य जगहों से निकलने वाली अवैध रेत की टीपी भी ऑनलाइन कट दी जाती है,जिससे की कागजी कार्यवाही पूरी रहे,और रोड पर इनको किसी के द्वारा रोका न जा सके| अब अगर सारांश में ये कहा जाए की रेत के इस खेल में कई विभागों की सयुंक्त साझेदारी है, तो यह कही से भी गलत नही होगा और जिले में समय समय पर होने वाले इनके आपसी टकराव इस बात की पुष्टि भी करते आये है |