सीधी(ईन्यूज एमपी)-जिले में संचालित जिला परिवहन कार्यालय में बाबूराज हावी है, सालो से एक ही कुर्सी पर जमे बाबू सत्यबहादुर सिंह जिन्हें मिनी आरटीओ भी कहा जा सकता है , की मर्जी के बिना परिवहन कार्यालय में कोई काम संभव ही नही है या यू कहे की परिवहन कार्यालय के सर्वेसर्वा ये ही है| जिले के परिवहन कार्यालय में काफी लम्बे समय से आर टी ओ का पूरा काम कर रहे है आर टी ओ रहे या नही कोई फर्क नही पड़ता इनके द्वारा हर काम को बखूबी अंजाम दिया जाता है| परिवहन कार्यालय की ओर रुख करे तो पता चलता है की यहां गिनती के ही शासकीय कर्मचारी है बाकी का सारा काम तो यहां के दलालों के माध्यम से होता है, सरकार की निर्धारित फीस चाहे जो भी हो पर परिवहन कार्यालय में लायसेंस, परमिट, रजिस्ट्रेसन व अन्य कामो की फीस अलग है, कारण की यहां के जो एजेंट है उन्हें अपने कागजो को पास करवाने के लिए बाबू जी को फीस के आलावा अलग से निर्धारित सुविधा शुल्क देनी पड़ती है| जी हां आपको बता दे की परिवहन कार्यालय में हर दस्तावेज को पास करने के लिए मिनी आरटीओ साहब का अलग से निर्धारित सुविधा शुल्क है,जिसके बिना यहां कोई भी काम नही हो सकता है|यहां की भर्रे शाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की परिवहन कार्यालय में बैठे एजेंटों के पास हर मर्ज की दवा है जैसे की आपको लायसेंस बनवाना है और आपके पास मार्कसीट नही है तो शुल्क दीजिये आपके नाम से मार्कसीट बन जायेगी, चरित्र के लिए सभी थानों की सील उपलब्ध है और तो और मेडिकल प्रमाणपत्र भी एजेंटो के द्वारा खुद ही बना लिया जाता है,इसी तरह हेवी लायसेंस के लिए लगने वाले अनुभव प्रमाण पत्र भी यहां उपलब्ध है,और इन सब फर्जी दस्तावेजो से सजी फ़ाइल जब एन साहब के पास पहुँचती है तो आँखबंद कर इनके द्वारा पास कर दिया जाता है और दस्तावेजो के हिसाब से रोज के रोज एजेंटो से वसूली की जाती है| परिवहन कार्यालय में पदस्थ मिनी आर टी ओ एस बी सिंह द्वारा एजेंटो को इतना संरक्षण दिया जाता है की इनके बिना कोई भी सामान्य व्यक्ति परिवहन कार्यालय में अपना कम करवा पाने के बारे में सोच ही नही सकता, सरकार द्वारा जो फीस निर्धारित है उससे दोगुनी फीस भरना लोगो की मजबूरी है| वही बात करे जिम्मेदारो की तो आने वाले किसी भी आरटीओ अधिकारी द्वारा इस व्यवस्था पर लगाम नही कसी गई बल्कि सीधी जिला काफी लम्बे समय तक प्रभारी अधिकारियो के भरोसे ही चलता रहा है,जिसका फायदा इन सभी को मिलता आ रहा है| वर्तमान कलेक्टर अभिषेक सिंह द्वारा आते ही छोटे कर्मचारियों पर जिस तरह ताबड़तोड़ कार्यवाही की जा रही है, इससे तो यही लग रहा है की परिवहन कार्यालय की कारगुजारिया अभी इनकी नजरो से दूर है, है अब देखना है की इन सहबनो पर जिला कलेक्टर महोदय की नजरे कब पड़ती है और लोगो को इस व्यवस्था से कब निजात मिलती है|