सीधी(ईन्यूज एमपी)- भारत सरकार के मानव संसाधन विकाश मंत्रालय द्वारा कुछ दिन पूर्व शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धरा 16 व 17 के सम्बन्ध में एक स्पष्टीकरण जरी किया गया है जिसके तहत किसी भी बच्चे को कक्षा में रोका या निष्काषित नही किया जा सकता और न ही किसी बच्चे को शारीरिक कष्ट या उत्पीडन नही दिया जायेगा| लेकिन जिले मे इसका कोई असर देखने को नही मिल रहा है,कारण जिन्हे आदेश के पालन का दायित्व है वे अपने दायित्व से विमुख है। जिसके कारण निजी स्कूल संचालक मनमानी करते देखे जा रहे है,उन्हे न तो नियमो की परवाह है,और नही प्रशासन का डर।ताजा मामला जिले मे स्थित ज्योत्सना पब्लिक हायर सेकंडरी स्कूल का है जहां एक गरीब छात्र को शुल्क विलंब होने पर परीक्षा से वंचित कर दिया गया है,साथ ही अभिभावकों को यह कह कर लौटा दिया गया की आप हमारे अधिकारी नही हैं,जो आपसे पूछे या बात माने जाओ जो बने कर लो। बतादे कि कंक्षा 4 मे अध्ययनरत छात्र हर्ष वर्मा के घर की स्थिति ठीक न होने के कारण विद्यालय की शुल्क एक माह लेट हो गई जिसके बाद परीक्षा देने पहुंचे छात्र को दो प्रशनपत्रो (14 व 17 तारीख को )से वंचित कर दिया गया।ईन्यूज को छात्र के परिजनों ने दूरभाष पर बताया की कई अन्य छात्रो को भी परीक्षा हाल से हटाकर बाहर कर दिया गया साथ ही जब हमारे द्वारा विद्यालय संचालक से बात की गई तो बडे ही रूखे शब्दों मे उन्होनें कहा की शुल्क जमा होने के बाद ही परीक्षा दिलवाई जायेगी, आप हमारे अधिकारी नही है जो आप की बात माने।पूरे मामले को लेकर छात्र बेहद दुखी है,जिसकी शिकायत लेकर हम जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग के पास जायेंगे। अब देखना है कि सरकार के नियमो का पालन करने का दम भरने वाले उक्त मामले मे कार्यवाही करते है या रसूखदारो की रसूख मे शिकायत हवा हो जायेगी।