सीधी(ईन्यूज एमपी)-उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम सीधी के अध्यक्ष मा० डी०एन० पाटिल, सदस्य अंजू पाठक, सदस्य नर्मदा प्रसाद तिवारी द्वारा एचडीएफसी स्टैन्डर लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को उपभोक्ता द्वारा जमा राशि एवं मानसिक क्षतिपूर्ति सहित ४५ दिवस के अंदर भुगतान नहीं करने पर ६ परसेंट ब्याज देना होगा। विगत वर्ष बिन्ध्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद द्वारा सिंगरौली जिले में उपभोक्ता जागरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जहां पर उपभोक्ताओं के अधिकार से संबंधित जानकारी दी गई, जहां पर उपभोक्ताओं द्वारा एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा जमा राशि वापस नहीं करने की संघठन को शिकायत की गई जिसमें ग्राम सिद्धि कला तियरा आदि गांवों के लोगों ने शिकायत किया कि शासन पावर प्रोजेक्ट में हम लोगों की जमीन अधिग्रहीत होने से मुआवजा प्राप्त हुआ था। उसी समय एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारियों द्वारा सिद्वी कला गांव में कैंप लगाकर सभी का जो मुआबजा में राशि प्राप्त हुई थी ५ वर्ष में दोगुना करने का आश्वसन देकर जमा कराया गया था, किंतु ५ वर्ष बीत जाने के बाद भुगतान के लिए संपर्क किया गया तो कंपनी द्वारा कहा गया कि आपकी राशि लेप्स हो चुकी है अब किसी प्रकार का कोई भुगतान नहीं किया जावेगा क्योंकि आपके द्वारा एक किस्त के बाद कि कोई भी किस्त जमा नहीं की गई है। पाल्सी बाण्ड में १५ साल राशि जमा करना था किन्तु आप के द्वारा एक ही किश्त जमा की है। तब पालसीधारकों के द्वारा कहा गया हम खेतिहर मजदूर हैं और मुआवजा में राशि प्राप्त हुई थी आपको और आपके अधिकारियों को यह भली.भांति पता था कि हमारे पास एक किस्त के अलावा दूसरी किस्त देने के लिए कोई इनकम का स्रोत नहीं है पूर्व में अधिकारियों द्वारा एक ही प्रीमियम जमा करने की बात कही गई थी किंतु कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं की एक बात नहीं मानी गई और कोई भुगतान नहीं किया गया। विन्ध्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद द्वारा प्रकरणों के अभिलेखों का परीक्षण किया गया, जिसमें कंपनी द्वारा अनुचित व्यापार एवं सेवा में कमी होना पाया गया। क्योंकि पाल्सी बाण्ड में आवेदकों द्वारा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने का राशन कार्ड एवं आईडी रूफ में मुआवजा वितरण के समय प्रशासन द्वारा जारी परिचय पत्र प्रस्तुत किया गया था अत: बीमा कंपनी को यह भली.भांति पता था कि यह मुआवजा से एक मुश्त मिली राशि है उपभोक्ताओं के पास आय का कोई दूसरा श्रोत नहीं है तो इतने बड़े.बड़े अमाउंट की किश्त जमा कर सके। इसके बावजूद कंपनी द्वारा जानबूझकर रेगुलर प्रीमियम का पाल्सी बाण्ड जारी कर दिया गया। जबकि मनी लाण्डरिगं एक्ट के तहत आय के श्रोतों की जानकारी से सन्तुष्ट होने का दायित्व बीमा कम्पनी का था। किन्तु कम्पनी द्वारा जानबूझ कर पालसी बाण्ड जारी कर उपभोक्ताओं के साथ अनुचित व्यापार किया गया। संगठन द्वारा कंपनी एवं बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण को पत्र लिखकर उपभोक्ताओं के द्वारा जमा राशि के भुगतान हेतु आग्रह किया गया किंतु कोई कार्यवाही नहीं होने पर प्रकरण उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया, सुनवाई पूरे होने के उपरांत दिनांक १२ दिस्मर २०१८ को फोरम सीधी द्वारा आदेश पारित कर उपभोक्ता द्वारा जमा की गई राशि मानसिक छतिपूर्ति एवं वाद व्यय देने हेतु प्रबंधक एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड कटनी को आदेश जारी किया गया। कुल १२ प्रकरण निराकृत किए गए जिनमें चौदह लाख इक्यासी हजार आठ सौ चार रू, एवं मान्सिक छति पुर्ति चौबिस हजार साथ ही वाद व्यय बारह हजार रू० भुगतान करने का आदेश पारित किया गया। विन्ध्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद सीधी द्वार अधिकार की लड़ाई लड़ी गयी जो कि गरीबों के लिये बरदान साबित होगी।