सीधी(ईन्यूज एमपी)-जिला चिकित्सालय सीधी में इन दिनों भार्रेशाही का आलम है,नोट के बल पर अपनी कुर्सी के पैर मजबूत कर बैठे अधिकारी अपनी मर्जी का शासन चला रहे है | सरकार बहादुर के हाथ में जिला चिकित्सालय की कमान आते ही पूरी व्यवस्था चरमरा गई है, कारण सरकार बहादुर अपने आवास में क्लीनिक व पैथलाजी चलाने में व्यस्त है और कर्मचारी चिकित्सालय में अपनी मनमानी में, और तो और सरकार बहादुर नियमो को अनदेखा कर अपने आवास में ही मेडिकल स्टोर चला रहे है,जिसका न तो लायसेंस है न अनुमति, अब ऐसे में अधीनस्थ कर्मचारी ही नियमो के फेर में क्यू पड़े जब वरिष्ठ ही नियमो की धज्जिया उड़ाने में लगे है| बता दे की वर्तमान सिविल सर्जन सरकार बहादुर खरे लम्बे समय से सीधी जिले में पदस्थ है, इनका कई बार स्थानातरण भी हुआ लेकिन सीधी का मोह इन्हे बार बार खीच ही लाता है| सरकार बहादुर एक अच्छे चिकित्सक है इसमे कोई संशय नही है पर एक प्रशासक के तौर पर ये खरे नही उतर पाये, इनके आते ही अस्पताल की साफ सफाई व्यवस्था बेहद नाजुक हो गई| अस्पताल में चल रही फूड सप्लाई व्यवस्था भी कमीशन खोरी के चंगुल में फासी हुई है, और तो और अस्पताल में आने वाले मरीजो को प्रायवेट नर्सिंग होम में भेज दिया जाता है, या फिर बगले में बुला लिया जाता है| हाल ही में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने अवैध क्लीनिको व पैथलाजी पर शिकंजा कसने की बात अखबारों के माध्यम से सार्वजानिक की है, पर जिला चिकित्सालय में पदस्थ सिविल सर्जन तो खुद लम्बे समय से अपने आवास में ही पैथलाजी व क्लीनिक चला रहे है जो जगजाहिर है,और अब तो बची खुची कसर मेडिकल स्टोर खोल कर पूरी कर ली है, अब देखना है की सरकार बहादुर पर जिला प्रशासन क्या कार्यवाही करता है या फिर सारे के सारे नियम केवल बाहरी लोगो पर ही लागू होते है | सरकार से अच्छी खासी मोटी रकम वेतन ले के भी इनके द्वारा अपना काम इमानदारी से न करना बेहद निंदनीय है|