सीधी (ईन्यूज एमपी)-विधिक सहायता अधिकारी अमित शर्मा ने जानकारी देते हुये बताया कि उच्च न्यायालय जबलपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दिनांक 24 नवम्बर को जिला न्यायालय परिसर के वैकल्पिक विवाद समाधान केन्द्र मे मध्यस्थता जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोेजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रभात कुमार मिश्रा ने कहा कि मध्यस्थता या मीडिएशन वर्तमान समय की आवश्यकता है। श्री मिश्रा ने न्यायालयांे मे वढतें प्रकरणांे के लम्बे समय तक लंबित रहने पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि यदि किसी भी राजीनामा योग्य विवाद के पक्षकार आपसी समझवूझ से अपने प्रकरण मे विवाद का निपटारा करते है तो न्यायिक प्रक्रिया मे बहुत बड़ा योगदान प्रदान करते है। श्री मिश्रा ने कहा कि मध्यस्थता विवादो केा निपटाने की सरल एवं निष्पक्ष प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत मध्यस्थता अधिकारी दवाव रहित वातावरण मे विवाद के पक्षकारो को सुनता है एवं सदभावना पूर्ण वातावरण मे मध्यस्थता अधिकारी तथा पक्षकारो के द्वारा विवाद का समाधान निकाला जाता है। श्री मिश्रा ने कहा कि हमारे देश मे मध्यस्थता अति प्राचीन परम्परा है जिसमे पंचायत द्वारा गावो मे हुये विवादो को पक्षकारो की आपसी सहमति से समाप्त किया जाता था। व्यवहार प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 89 मे विवादो के वैकल्पिक समाधान हेतु विधिक प्रावधान किया गया है जिसके अन्तर्गत लोक अदालत, मध्यस्थता, सुलह आदि प्रक्रियाएं सम्मिलित है। श्री मिश्रा ने पति एवं पत्नी के मध्य पारिवारिक विवाद का उदाहरण देते हुये कहा कि यदि पति एवं पत्नी के मध्य भरण पोषण का विवाद है तो ऐसे विवाद से न्यायिक पृथककरण, बच्चो की संरक्षता, विवाह विच्छेद आदि कई विवाद उत्पन्न हो सकते है जिनके निराकरण के लिये पक्षकारो को न्यायालय के चक्कर काटने पडेगे एवं पक्षकारो को समय एवं आर्थिक हानि तथा मानसिक एवं शारीरिक अशांति का सामना करना पडता है। इसी विवाद का उदाहरण मे श्री मिश्रा ने कहा कि यदि इस विवाद को प्रारंभिक स्तर पर ही मध्यस्थता द्वारा निपटा लिया जाता तो पक्षकारो को इतनी समस्याओ का सामना नही करना पडता। श्री मिश्रा ने उपस्थित अधिवक्ताओ, पैरालीगल वालेटियर्स एवं पक्षकारो से मध्यस्थता का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने की अपील की। प्रशिक्षक अपर जिला न्यायाधीश मंडला दीपक कुमार त्रिपाठी ने मध्यस्थता की जानकारी देते हुये बताया कि मध्यस्थता मे विवाद को न्यायालय द्वारा विवाद के पक्षकारो की सहमति से मध्यस्थता केन्द/वैकल्पिक विवाद समाधान केन्द्र प्रेषित किया जाता है जहां पर प्रशिक्षित मध्यस्थ अधिकारी की नियुक्ति की जाती है। मध्यस्थता अधिकारी द्वारा सयुक्त सत्र एवं एकल सत्र आयोजित किया जाकर पक्षकारो को सुना जाता है एवं बातचीत से उत्पन्न विभिन्न समीकरणो को सभी पक्षकारो के समक्ष रखा जाता है, विवाद के निवारण उपरान्त सभी पक्षो के समझौते की पुष्टि होती है तथा समझौेते की शर्ते स्पष्ट रूप से अंकित होती है । श्री त्रिपाठी ने कहा कि मध्यस्थता मे हुये समझौते के अनुसार न्यायालय मे दोनो पक्षो के मघ्य राजीनामा किया जाता है एवं विवाद का अन्तिम रूप से निपटाारा हो जाता है कि क्योकि ऐसे प्रकरणो मे कोई अपील नही होती और मध्यस्थता मे विवाद निपटाने पर वादी सम्पूर्ण न्याय शुल्क वापसी का हकदार होता है। कार्यक्रम मे उपस्थित अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष वृजेन्द्र सिंह वघेल ने मध्यस्थता मे अधिवक्ताओ के सहयोग का आश्वासन दिया । कार्यक्रम मे विशेष न्यायाधीश ममता जैन, कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश सुनील कुमार जैन, प्रथम अपर जिला न्यायााधीश राजीव अयाची, द्वितीय अपर जिला न्यायाधीश यतीन्द्र कुमार गुरू, तृतीय अपर जिला न्यायाधीश योगराज उपाध्याय, चतुर्थ अपर जिला न्यायाधीश राजेश सिंह, अपर जिला न्यायाधीश मुकेश कुमार यादव, मुख्य न्यायिक मजिस्टेट जय सिंह सरौते, न्यायिक मजिस्टेट , शिवचरण पटेल, अभिषेक कुमार, अजय प्रताप ंिसंह, रेनू यादव, रामअचल पाल, कर्नल ंिसंह श्याम, सशांत भट्ट, चुरहट से न्यायिक मजिस्टेट दीप नारायण ंिसंह , मुकेश गुप्ता, मिनी गुप्ता, दिव्या सिंह, रामपुर नैकिन से न्यायिक मजिस्टेट कमलेश कुमार कौल एवं महेन्द ंिसह तथा मझौली से न्यायिक मजिस्टेट मुनेन्द्र सिंह वर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं मीडिएटर लालमणि ंिसह चैहान सहित अधिवक्तागण एवं पैरालीगल वालेटियर्स उपस्थित रहे।