सीधी(ईन्यूज़ एमपी)- सीईओ जिला पंचायत अवि प्रसाद ने माटा सरपंच भोला सिंह को महात्मा गांधी नरेगा एवं प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत कार्य करने वाले मजदूरों को मजदूरी का भुगतान न करते हुए दूसरे के बैंक खाते में राशि डालकर वित्तीय अनियमितता प्रमाणित एवं सिद्ध पाए जाने पर म.प्र. पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत कार्यवाही करते हुए पद से पृथक किए जाने का आदेश जारी कर 6 वर्ष के लिए निर्हित किया है I सरपंच ग्राम पंचायत माटा द्वारा करहीटोला में गोपाल सिंह के घर से अगरियान बस्ती तक बनाई गई पी.सी.सी.रोड और नाली निर्माण कार्य में काम करने वाले मजदूर प्रेमवती, मोहन और शेर सिंह को भुगतान की जाने वाली राशि रुपये 2788.00 इसी प्रकार इंदपाल, जयमंती और मोहन को भुगतान किए जाने वाली राशि रुपए 5566.00 का भुगतान मस्टर रोल में दिखाया गया लेकिन मजदूरों के खातों में राशि का भुगतान न किया जाकर अन्य बैंक खातों में राशि का भुगतान किया जाना प्रमाणित और सिद्ध पाया गया I करही टोला में ही महात्मा गांधी नरेगा बनाए गए नवीन तालाब कार्य में प्रेमकली, राजबहादुर और रामरती को मजदूरी की राशि रुपए 6192.00 का भुगतान नहीं किया जाकर अन्य व्यक्त्ति के बैंक खाते में भुगतान किया गया I ग्राम पंचायत माटा अंतर्गत महात्मा गांधी नरेगा से दिनांक 01-04-2017 से 30-04-2018 की अवधि में कराए गए कार्यों में वास्तविक रूप से कार्य करने वाले मजदूरों निरसिया, शोभनाथ, सुखी और संतकुमार को भुगतान की जाने वाली राशि 4128.00 का भुगतान न किया जाकर अन्य व्यक्त्ति के बैंक खातों में 1.50 लाख का भुगतान किया गया I ग्राम पंचायत अंतर्गत सरपंच द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना में कार्य करने वाले मजदूर मानवती को मजदूरी की राशि 1032.00 का भुगतान न कर अन्य व्यक्ति के खाते में किया गया I सरपंच श्री भोला सिंह के विरुद्ध रुपए 1.61 लाख का मजदूरी का भुगतान अन्य के खातों में डालकर वित्तीय अनियमितता किया जाना प्रमाणित और सिद्ध पाया गया I सरपंच द्वारा शासन के निर्देशों के साथ महात्मा गांधी नरेगा अधिनियम की घारा 4 में सौंपे गए दायित्वों का निर्वहन न करते हुए गंभीर लापरवाही, स्वेच्छाचारिता एवं वित्तीय अनियमितता कर शासकीय राशि का प्रभक्षण किया गया I कर्तव्यों के निर्वहन में अवचार के दोषी सरपंच को लोक हित में पद में बने रहने में अवांछनीय मानते हुए सी.ई.ओ.जि.पं.ने म.प्र. पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत कार्यवाही करते हुए पद से पृथक किए जाने का आदेश जारी कर 6 वर्ष के लिए निर्हित किया है I