सीधी(ईन्यूज एमपी)- प्रदेश मे इन दिनो एक ओर जहां चौतरफा कुर्सी की लडाई चल रही है,वही जिले के थानो मे पदस्थ कुछ थानेदार साहबान ऐसे है जिन्हे कुर्सी पर बैठना पसंद ही नही,उन्हे तो बस घर से ही थाना चलाने मे मजा आता है,और हो भी क्यो न भाई पुलिस महकमे मे लम्बा सफर तय कर चुके है,उन्हे पता है कि कुर्सी का इस्तेमाल कैसे करना है,नतीजतन पाल लिये दलाल अब अगर साहब से कोई बात करनी है,कुछ काम करवाना है तो साहब के इन्ही पुजारियों से मिलना पडेगा नही तो साहब के दर्शन नही होगे। बतादे की साहब के आते ही साहब की चर्चा थी की साहब ये है,साहब वो है,साहब ऐसे है,साहब वैसे है,लेकिन समय गुजरते लोगो को समझ मे आ गया कि साहब क्या है...? साहब की आराम पसंदगी का आलम यह है कि बातो से तो सौ सौ शेर ढेर कर देगे पर रही बात काम करने की तो मुह ही फेर लेते है,हां रही बात सलाह देने की तो कई बार साहब ये भी भूल जाते है कि किस पद पर है,और किसे सलाह दे रहे है,और कई बार इनकी सलाह देने की आदत ने इन्हे दिक्कत मे भी डाल दिया है,पर साहब कहा सुधरने वालो मे है,अरे जी उनका तो मानना है कि जो हम करते है वही सही है,तभी तो कोर्ट के आदेशो तक को दर किनार करने से नही हिचकिचाते है...? कुल मिलाकर कहे तो साहब को न तो किसी का डर है ,न किसी नियम की परवाह,इन्हे तो बस अपनी ही हांकने मे मजा आता है। बात करे इनके जो आला है उनकी उपस्थिति का तो जिले भर के लोग उदाहरण देते है कि वाह क्या अधिकारी है,इनके जैसा पुलिस कप्तान तो कही हो ही नही सकते,इतने संज्जन हैं कि उनके सज्जनता का खुलेआम खाखी छाप दुरुपयोग कर रहे हैं ..? और फिर तमाम जानकारी होने के बाबजूद चुप्पी क्यौं ... समझ से परे है ...? शुरू मे तो साहब ने ऐसे रुख अपनाये की अब धरती ही पलट देगे,थानेदारों की वो परेड कराई की सब के होश ठिकाने लग गये पर जल्द ही साहब ने वो चुप्पी साधी की दूर की तो बात ही क्या शहर मे ही चोरो के ठिकाने लग गये।इन दिनो आलम यह है कि आये दिन शहर मे चोरी की लूटपाट की घटनाएं होती है,पर यहां पदस्थ थानेदार साहब उस पर अंकुश लगाने के बजाय, उसे छुपाने मे और दलालो के माध्यम से थाना चलाने मे लगे हुये है।