सीधी(ईन्यूज एमपी)-सीधी जिले की अधिकांश पंचायतो में इन दिनों दलालों का बोलबाला है, कहने को तो पंचायत के समस्त काम सरपंच, सचिव व जीआरएस के सुपुर्द है लेकिन हकीकत एन सब से कही और आगे है, यही नही अधिकारी कर्मचारी भी इस बात से भली भाति परिचित है लेकिन कमीशन का चश्मा इन सब बातो पर पर्दा दाल कर रखता है | वैसे तो सीधी जनपद समेत अन्य सभी में दलालों की भार्रेशाही हावी है लेकिन तजा मामला सीधी जनपद अंतर्गत चौफाल कोठार ग्राम पंचायत का है, जहां पंचायत सचिव तो है लेकिन काम का नही केवल नाम का सचिव का पूरा काम पंचायत के दलाल रावेन्द्र यादव द्वारा किया जाता है, जिसे कुछ राजनैतिक नेताओ व अधिकारियो का संरक्षण प्राप्त है, और इसकी आड़ में रावेन्द्र यादव द्वारा अपनी पंचायत ही नही वरन आसपास की अन्य पंचायतो में भी दखल दिया जाता है | ठेकेदारी का चोला पहन कर रावेन्द्र यादव द्वारा जहां नेताओ से काम ले लिया जाता है वही अधिकारिओ को कमीशन खिलाकर अपने बिल पास करा लिए जाते है, और कमीशन के लालच में अधिकारी ये तक देखने नही जाते की काम हुआ है की नही बस कमीशन लिया साईन किया, नही तो बिना काम के ही बिलों का भुगतान क्यों किया जाता| ग्रामीणों की माने तो ग्राम पंचायत चौफाल कोठार में पिछले तीन सालो से ग्राम सभा ही नही हुई है , लेकिन कागजो में ग्रामसभा सत प्रतिशत निरंतर व सही हो रही है, ग्रामीणों से पूछने पर पता चलता है की गांव में आधे से अधिक घरो में सौचालय निर्माण ही नही हो पाया है जबकी कागजो में ग्रामपंचायत खुले से शौच मुक्त घोषित है,गांव के अधिकांश श्रमिक पलायन को मजबूर है जबकी पंचायत में भरपूर काम हो रहे है, लेकिन अधिक लाभ कमाने के चक्कर में मशीनों से काम हो रहे है, जनप्रतिनिधियों द्वारा दिए गये पैसे को बिना जरूरत के जगहों पर पुल पुलिया बनाकर आपस में बाटा जा रहा है, यही नही अगर सघनता से जांच की जाये तो दर्जनों ऐसे काम है जिनकी सालो से सीसी ही जारी नही हो सकी,फर्जी बिलों का भुगतान, घटिया काम ऐसी अन्य कई शिकायते ग्राम पंचायत चौफाल कोठार के ग्रामीणों द्वारा जिला व प्रदेश स्तर पर की गयी लेकिन नतीजा कुछ नही निकला, जिससे हताश ग्रामीणों द्वारा मूक दर्शक बनना ही ठीक माना गया, वही ठेकादारी का चोला ओढ़कर बैठे दलाल रावेन्द्र यादव के हौसले इतने बुलंद हो चुके है की उसे अब न तो किसी अधिकारी का भय है और न ही जांच का बल्की गांव वालो की माने तो गाव का सचिव रावेन्द्र ही है, किसे किस योजना का लाभ देना है या नही ये उसी के द्वार ही तय होता है, किसे काम देना है कहां से सामग्री लेनी है इन तमाम बातो के लिए सरपंच सचिव केवल रावेन्द्र पर ही आश्रित है | थोड़े ही समय में नेताओ का संरक्षण व अधिकारियो को विश्वास में लेकर दलाली पर उतरे रावेन्द यादव द्वारा अब अपने पंचायत के साथ साथ आस पास के अन्य पंचायतो का भी उद्धार किया जा रहा है जिसमे जिला प्रशासन का भरपूर सहयोग है, क्यों की सरकार द्वारा तय मापदंडो को दर किनार कर कोरम पूर्ती कर रही पंचायतो पर जिला व जनपद के अधिकारी इनते मेहरबान है की कभी ये तक देखने की कोशिश नही करते की वास्तव में ग्राम पंचायत की दशा व दिशा क्या है, ग्रामीण उनके बारे में क्या सोचते है, यदि कभी अफसरी की कुर्सी छोड कर ये फील्ड का दौरा करे तो पता चलेगा की ग्रामीण इन अधिकारियो के बारे में कौन सा शब्द इस्तेमाल करते है और शायद इसे सुनने के बाद इनकी आँखों से.......... का चश्मा उतर जायेगा |