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अर्जुन सिंह की पत्नी का परिवाद : घरेलू हिंसा नहीं यह राजनैतिक षड्यंत्र है

सीधी(ईन्यूज एमपी)- कल भोपाल में कांग्रेस के दिवंगत नेता स्व. कुंअर अर्जुन सिंह की पत्नी सरोज सिंह द्वारा अपने दोनों पुत्र अभिमन्यु सिंह व अजय सिंह के विरुद्ध घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम-2005 एवं नियम -2006 के तहत् भोपाल की अदालत में परिवाद दायर किया है। उनका आरोप है कि मेरे पुत्रों द्वारा मेरे साथ घरेलू हिंसा कारित कर मुझे मेरे ही निवास से बेदखल कर दिया गया है और भरण पोषण करने से इंकार कर दिया है, जिस कारण मुझे मजबूरी में न्यायालय की शरण लेनी पड़ी है। घरेलू हिंसा की सामान्य परिभाषा है कि कोई भी महिला या 18 वर्ष से कम आयु वर्ग का बालक या बालिका (बच्चे), जो कम से कम 3 वर्ष तक एक साथ, एक छत के नीचे सांझी गृहस्थी में रह रहे हों, वह किसी भी रिश्ते में हों और उनके शारीरिक, मानसिंक, भावनात्मक, आर्थिक या यौनिक हिंसा कारित होती है तो घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम -2005 के नियम -2006 के तहत् पीड़िता को राहत प्रदान करता है।

परिवादिया सरोज देवी हमेशा स्व. कुंअर साहब के साथ रहीं। कुंअर साहब की मृत्यु के उपरांत उन्हें 1, अकबर रोड की जगह 1, केनिंग लेन में बंगला आवंटित किया गया। बाद में वह जे.पी. इंडस्ट्रीज के ग्रेटर नोएडा के ग्रीन स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स स्थित अशोक वाटिका के अपार्टमेंट नं.-201 में निवास करने लगीं। अपने परिवाद पत्र में उन्होंने यही पता लिखवाया है। जबकि वह अपनी पुत्री श्रीमती वीणा सिंह व दामाद बी.पी. सिंह राजा बाबा के साथ सिंगरौली हाऊस, बृजवासन, नई दिल्ली में निवास कर रही हैं।
कुछ अनुत्तरित सवाल हैं। अपने स्वर्गीय पति के साथ हमेशा रहने वाली सरोज देवी क्या कभी अपने ज्येष्ठ पुत्र अभिमन्यु सिंह के साथ रहने बंगलौर गईं ? कुंअर साहब की मृत्यु उपरांत वह भोपाल के केरवा स्थित निवास में रहने के लिये भोपाल आईं ? संरक्षण अधिनियम के अनुसार क्या वह दोनों पुत्रों के साथ विगत् 3 वर्षों से लगातार एक साथ, एक ही छत के नीचे, सांझी गृहस्थी में निवास करती रही हैं ? इनका एक ही उत्तर है न । अतः घरेलू हिंसा का आरोप प्रथम दृष्टया मिथ्या प्रतीत होता है।
घरेलू हिंसा व भरण पोषण का यह परिवाद सरोज देवी दिल्ली या पैत्रिक घर चुरहट, जिला- सीधी के सक्षम न्यायालय में दायर कर सकती थीं। किन्तु इसके लिये उन्होंने भोपाल को ही क्यों चुना ? इस सम्बंध में पुत्र व म.प्र. विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भैया का कथन कि जब भी मैं अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की कोशिस करता हूं तो मेरे साथ कोई न कोई षड्यंत्र किया जाता है। पिछली बार पेश किया था तो तत्कालीन उपनेता चौधरी राकेश चतुर्वेदी को भाजपा अपने साथ ले गई थी, अबकी बार मां और बहन को षड्यंत्र में शामिल कर लिया है, सटीक सी लगती है।
स्वर्गीय कुंअर अर्जुन सिंह के 1971 से उनके इंतकाल 3 -4 मार्च 2011 की भोर तक निज सहायक रहे मो. यूनुस के अनुसार कुंअर साहब के राजनैतिक उत्तराधिकारी राहुल भैया हैं। मम्मा साहब को मुहरा बनाकर उनकी पुत्री श्रीमती वीणा सिंह व उनके दामाद बी.पी. सिंह राजा बाबा के राजनैतिक महत्वाकांक्षा के चलते भारतीय जनता पार्टी के साथ दुरभि संधि कर चुके प्रतीत होते हैं। साहब को मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में मंत्री न बनाये जाने पर पुत्री वीणा सिंह ने उनसे दूरी बना ली थी, अंतिम समय तक वह खुद उनके साथ रहे।
मम्मा साहब के साथ राहुल भैया या बड़े भैया या उनकी पत्नियों द्वारा हिंसा किये जाने का आरोप पूर्णतया निराधार व मन गढ़न्त है। कुंअर साहब के देहावसान उपरांत जब मम्मा साहब को आवंटित 1, केनिंग लेन बंगले की मरम्मत की जा रही थी तब उसे देखने वह केनिंग लेन गई थीं, उनके साथ राहुल भैया की पत्नी श्रीमती अदिति सिंह भी साथ में थीं। तब बहू अदिति सिंह ने वहां भी उनसे अनुरोध किया था कि मम्मा साहब आप भोपाल चलकर रहिये।
विदित हों कि ग्वालियर राज घराने से वीणा सिंह की रिश्तेदारी हैं। उनकी बहू देवयानी, (नेपाल राजवंश) सिंधिया परिवार की सगी भांजी हैं। ग्वालियर घराने का चाहे वह कांग्रेस हो या भाजपा, बराबर का दखल है। मध्य प्रदेश में कमलनाथ जी को प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौंपे जाने व उनके इस बयान से कि प्रदेश में बसपा के साथ गठबंधन हो सकता है, सिगरौली में राजा बाबा ( गत् विधान सभा में कांग्रेस के उम्मीदवार ) अपने को असहज महसूस कर रहे थे। उन्होंने अपने खास कार्यकर्ताओं को अप्रत्याशित परिवर्तन के संकेत दे चुके हैं। लेकिन परिवर्तन की शुरुआत उपरोक्त तरीके से होगी ? किसी को अंदाजा नहीं था।
यदि मध्य प्रदेश में विधान सभा एवं लोक सभा के चुनाव एक साथ होते हैं तो भाजपा अपने टिकट बंटवारे में इन्हें तबज्जो दे सकती है। वैसे चुरहट में नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ दमदार प्रत्यासी न होने की स्थिति में संभव है वह वीणा सिंह को उतारे। रीवा संभाग में भाई-बहन के बीच विवाद की जानकारी सभी को है। आम जन मानस राहुल भैया को ही स्व. कुंअर श्री अर्जुन सिंह का उत्तराधिकारी मानता है। इस स्थिति में वह कुंअर साहब की पुत्री होने के नाते वोट नहीं पा सकतीं। दूसरी ओर भाजपा के कार्यकर्ता जो अब तक कुंअर साहब को कोस रहे हैं वह भला उनकी पुत्री को कैसे स्वीकार कर लेंगे ? हां, सिंगरौली विधान सभा की अलग बात है, वहां के राजघराने व निवासी होने के कारण कुछ लाभ मिल सके।



विजय सिंह
स्वतंत्र पत्रकार
19, अर्जुन नगर सीधी

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